इस्लामाबाद: चीन में मुस्लिमों के साथ भेदभाव की एक बार फिर से चर्चा हो रही है। ये बहस हाल ही में तब शुरू हुई जब चीन ने अरबी शैली में बनी आखिरी बड़ी मस्जिद में भी बदलाव करते हुए उसे चीनी वास्तुकला से बदल दिया। सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि चीन की आखिरी बड़ी मस्जिद की इमारत में बदलाव करते हुए गुंबद और मीनारों को हटा दिया गया है चीन में बीते कुछ सालों में लगातार ऐसी नीतियों को लागू किया गया है, जो अल्पसंख्यक मुस्लिमों को काबू करने की कोशिश लगती हैं। स्काई न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि शी जिनपिंग ने चीन में एक स्पष्ट नीति लागू की है, जो धर्म के ‘चीनीकरण’ पर जोर देती है। इसका मकसद लोगों पर धर्म के प्रभाव को कम करना और इसे अधिक ‘चीनी’ बनाना है।
स्काई न्यूज का दावा है कि उसने चीनी मुसलमानों के प्राचीन हुई समुदाय पर जिनपिंग सरकार की नीति के प्रभाव की जांच में कई महीने बिताए हैं। इसमें मुस्लिमों की इमारतों में बदलाव, धार्मिक स्थानों में कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा की एंट्री, भाषा और सांस्कृतिक प्रथाओं पर रोक जैसे कदमों का अध्ययन शामिल है। रिपोर्ट में बताया है कि चीनी मुसलमानों के बारे में बात होने पर अक्सर उइगरों की चर्चा होती है, ये समुदाय पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में रहता है। इस समुदाय के खिलाफ चीनी सरकार ने सामूहिक गिरफ्तारी समेत कई अभियान चलाए हैं लेकिन वे चीन के एकमात्र मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं। 2020 की जनगणना के अनुसार, ‘हुई’ चीन का सबसे बड़ा मुस्लिम समूह है, जिसकी आबादी पूरे देश में 1 करोड़, 10 लाख है। उन्हें आधिकारिक तौर पर एक जातीय श्रेणी के रूप में नामित किया गया है। वे चीनी बोलते हैं और पूरे देश में फैले हुए हैं। विशेषज्ञ उन्हें चीन के सबसे अधिक आत्मसात मुस्लिम समूह के तौर पर देखते हैं।
सैटेलाइट तस्वीरों से सामने आई सच्चाई
स्काई न्यूज ने सैटेलाइट तस्वीरों, सरकारी दस्तावेजों और जमीनी रिपोर्टिंग के जरिए मध्य चीन के गांसु और निंग्जिया प्रांतों में हुई मुसलमानों की 37 मस्जिदों और दूसरे इबादतखानों का विश्लेषण किया। इस दौरान पाया गया कि हमने पाया कि 2015 के बाद से 27 साइटों पर गुंबद या मीनारें हटा दी गईं हैं। चार स्थलों की इमारतें आंशिक रूप से या पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। जिन साइटों का विश्लेषण किया उनमें से 84 फीसदी में किसी न किसी रूप में गैर-इस्लामीकरण या बंद होने का अनुभव हुआ था। स्थानीय लोगों ने बताया कि मस्जिदों को किसी भी पश्चिमी या अरबी शैली में बनाने की अनुमति नहीं है। हमारे पास केवल चीनी शैली की मस्जिदें होनी चाहिए। इतना ही नहीं मस्जिद के भीतर सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय नीतियों को सिखाने के लिए बुकलेट भी हैं।
चीन में मुस्लिम बच्चों को अरबी सीखने की अनुमति नहीं है और 18 वर्ष से कम उम्र वालों को मस्जिदों में प्रवेश करने की भी मनाही है। मुस्लिमों के सामने इस नीति का विरोध करने का भी कोई विकल्प नहीं है क्योंकि ये नीति है औ राष्ट्रीय नीति के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता। यह देश की नीति है और सबको इसका पालन करना होगा। चीन का छोटा मक्का कहे जाने वाले लिनक्सिया शहर में भव्य मस्जिदें पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। यहां चीनी शैली वाले गुंबद विस्तृत और सुंदर हैं लेकिन मस्जिदों पर मीनारें ढूंढना मुश्किल है। ये दिखाता है कि कैसे चीनी सरकार एक योजनाबद्ध तरीके से इस्लाम और मुस्लिमों पर शिकंजा कस रही है।