नई दिल्ली: अपनी विस्तारवादी नीतियों से खुद ही परेशान होने वाले चीन की अकड़ और ढीली होने वाली है। दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना हस्तक्षेप ज्यादा दिखाने वाले चीन को सबक सिखाने के लिए ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा जंगी अभ्यास शुरू हो गया है। खास बात यह है कि इस जंगी अभ्यास में चीन का दुश्मन नंबर 1 अमेरिका भी हिस्सा ले रहा है। इस जंगी अभ्यास में अमेरिका सहित 11 देशों के 30 हजार से ज्यादा सोल्जर हिस्सा ले रहे हैं। भारत सहित 4 देश इस जंगी अभ्यास में ऑब्जर्वर हैं।
चीन ने हाल के समय में हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दखल बढ़ा दिया है। पहले वह केवल दक्षिण चीन सागर में अपनी दादागिरी करता था, लेकिन अब समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके जहाज जासूसी करते दिखाई दे जाते हैं। यहां तक कि भारतीय नेवी और तटरक्षक बलों ने भी कई बार चीन के जहाजों को अपने समुद्री इलाकों के पास देखा है। इन सबके बीच चीन की अकड़ ढीली करने के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया सहित कई देश साथ आए हैं।
2005 में हुई थी शुरुआत, इस बार सबसे बड़ा जंगी अभ्यास
11 देशों की सेनाओं ने मिलकर चीन के खिलाफ ऐसा ‘चक्रव्यूह’ रचा है कि चीन की अकड़ ढीली हो जाएगी। यह आस्ट्रेलिया में अब तक का सबसे बड़ा जंगी अभ्यास है। इस युद्धाभ्यास को चीन की चुनौती से निपटने के तौर पर देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में हो रहे युद्धाभ्यास को ‘तलिसमन सेब्रे’ नाम दिया गया है। यह युद्धाभ्यास हर दो साल में होता है और साल 2005 से इसकी शुरुआत हुई थी। इस साल यह युद्धाभ्यास इसलिए खास है क्योंकि इस बार का जंगी अभ्यास सबसे बड़ा है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे दिग्गज देश भी जंगी अभ्यास में शामिल
ऑस्ट्रेलिया में विभिन्न स्थानों पर हो रहे इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ ही फिजी, फ्रांस, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी के सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। वहीं भारत, सिंगापुर, फिलीपींस और थाइलैंड इस युद्धाभ्यास के ऑब्जर्वर हैं। खास बात ये है कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विवादित ताइवान स्ट्रेट में भी युद्धाभ्यास करेंगे। यहीं पर चीन ने बीते दिनों युद्धाभ्यास किया था। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के ताइवान स्ट्रेट में युद्धाभ्यास से चीन नाराज हो सकता है।
दुनिया का 80 फीसदी कारोबार हिंद प्रशांत क्षेत्र से
हिंद प्रशांत महासागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है। दुनिया का 80 प्रतिशत व्यापार इसी क्षेत्र से होता है। ऐसे में अगर इस क्षेत्र में अस्थिरता या सुरक्षा को लेकर कोई दिक्कत होती है तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है। यूक्रेन युद्ध की वजह से यह पहले ही बाधित चल रही है।
खिसियाए चीन ने कही ये बात
चीन ने ऑस्ट्रेलिया में हो रहे युद्धाभ्यास पर निशाना साधा है। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के एक लेख में इस युद्धाभ्यास को ‘कागज के शेर’ बताया। चीनी विशेषज्ञों का आरोप है कि अमेरिका सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के नाम पर देशों पर दबाव बना रहा है और इसकी आड़ में अपने वैश्विक आधिपत्य को बनाए रखना चाहता है। वहीं अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे दिग्गज देशों की जंगी अभ्यास में मौजूदगी वर्तमान समय में दुनिया में चीन के खिलाफ व्याप्त तनाव को देखते हुए और भी ज्यादा मायने रखती है।