वैशाली: लोकसभा चुनाव के नजदीक आते-आते लोजपा(रामविलास) ने यह कह कर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने पारंपरिक सीट हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। इस एलान ने न केवल अपने चाचा की टेंशन बढ़ा दी बल्कि भाजपा के रणनीतिकारों के सामने भी घोर संकट खड़ा कर दिया है। खास कर ऐसे समय में जब भाजपा का साथ जदयू से छूट चुका है। ऐसे में भाजपा बिलकुल नहीं चाहेगी कि उनके गठबंधन का कोई धड़ा उनसे अलग हो। खास कर बिहार में बीजेपी बूंद-बूंद से वोटों का घड़ा भर रही है।
क्या है लोजपा (आर) का एलान
लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू पांडे ने ना केवल चिराग पासवान के हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने की बात कही, बल्कि दावा किया है कि चिराग इस सीट से रिकॉर्ड वोटों से जीतकर अपने पिता रामविलास का रिकॉर्ड भी तोड़ेंगे। लोजपा अपने इस मकसद की कामयाबी के लिए आज यानी 16 जनवरी को ‘संकल्प महासभा’ के नाम से बड़ी जुटान भी की। इस जुटान ने इस बात को और भी उलझा दिया है कि चिराग पासवान हाजीपुर से लड़ेंगे तो यहां के सांसद पशपति पारस की चुनावी तकदीर कहां लिखी जाएगी।
चिराग ने अपनी स्वीकृति का दिखाया जलवा
हाजीपुर के अक्षयवट राय स्टेडियम में आयोजित संकल्प महासभा में पहुंची भीड़ से लगा कि जैसे चिराग के नेतृत्व पर मुहर लगा रही है। पूरा स्टेडियम भर चुका था। चिराग के आते ही उत्साहित भीड़ ने नारा लगाना शुरू किया कि धरती गूंजे आसमान, रामविलास पासवान और अब चिराग पासवान। हाजीपुर का नेता कैसा हो, चिराग पासवान जैसा हो। पार्टी के नेता चिराग पासवान को हाजीपुर से उम्मीदवारी का एलान कर रहे थे। उधर चिराग पासवान भी हाजीपुर की धरती को मां बता खुद को हाजीपुर का असली बेटा बताया। यह धरती उनके पिता की कर्मभूमि है और इस धरती की तरक्की और यहां के लोगों की सेवा, वह अपने पिता की तरह करेंगे। पिता के अधूरे सपनों को पूरा करेंगे। यह उनका अधिकार है और इस अधिकार को उनसे कोई छीन नहीं सकता।
हाजीपुर से क्यों लड़ना चाहते हैं चिराग?
दरअसल, चिराग पासवान का हाजीपुर से भावनात्मक लगाव है। यह वही लोकसभा क्षेत्र है जब 1977 में रामविलास पासवान को रिकॉर्ड्स मत से जीताकर विश्व प्रसिद्ध कर डाला। जीत की बात करें तो कुल 8 बार हाजीपुर की जनता ने उन्हें लोकसभा भेजने का काम किया। 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004, 2014 की लोकसभा चुनाव में विजेता बनाया। एक बार तो हाजीपुर की जनता ने 4 लाख से ज्यादा तो दूसरी बार पांच लाख से भी ज्यादा मतों से जीत कर रिकॉर्ड बनाया। हाजीपुर के लिए रामविलास पासवान काफी काम भी किया। चिराग का मानना है कि इस क्षेत्र से रामविलास पासवान का इसलिए भी जुड़ाव है कि यहां की जनता ने मेरे पिता रामविलास पासवान को विशिष्ट बनाया। ऐसा क्षेत्र जहां मेरे पिता ने खून पसीना बहाया हो उस क्षेत्र की जनता का साथ कैसे छोड़ दूं।
पारिवारिक राजनीति भी कारण
लोजपा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद यह परिवार छिन्न-भिन्न हो गया। राजनीति के इस खेल में लोजपा के पांच संसद को अलग कर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बना डाली। राजनीति में चिराग पासवान को अकेले करना भी काफी खला। दोनों परिवार के बीच सरोकार भी लगभग समाप्त हो गए। ऐसे में चिराग पासवान अब पार्टी के प्रति समर्पित भाव से उन सीटों को पुनः अपने अंदाज में पाना चाहते हैं। ऐसा कर वे रामविलास पासवान की लोजपा का मजबूत राजनीतिक विरासत संभालना चाहते हैं। और इसकी शुरुआत हाजीपुर लोकसभा से की है।
यह सच है कि फिलहाल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोजपा रामविलास पासवान, दोनों ही एनडीए में हैं। ऐसे में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान को कैसे संतुष्ट कर पाएंगे या फिर पशुपति पारस के लिए रास्ता निकलेंगे, यह आने वाले दिनों में एनडीए का गंभीर मसला साबित होने जा रहा है।