लखनऊ। दुकान का बीमा होने के बावजूद क्लेम निरस्त कर देना चोला मंडलम एमएल जनरल इंश्योरेंस कंपनी को भारी पड़ गया। पीड़ित ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने बीमा कंपनी को 35 लाख रुपये 9 फीसदी सालाना ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। साथ ही मानसिक कष्ट के रूप में दो लाख और वाद व्यय के 25 हजार रुपये भी अदा करने के आदेश दिए। ब्याज की अदायगी वर्ष 2018 से करनी होगी। ब्याज सहित हर्जाने की राशि करीब 55 लाख रुपये होगी।
बरेली स्थित आर्मी साइकिल स्टोर ने राज्य उपभोक्ता आयोग में वाद दाखिल किया था। इसके मुताबिक फर्म ने व्यापार के लिए बैंक से क्रेडिट लिमिट ली थी। क्रेडिट लिमिट के साथ व्यापार का बीमा चोला मंडलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी से 5 मई 2017 को कराया था। 21 मई को दुकान में आग लग गई और करीब 35 लाख रुपये का नुकसान हो गया। फर्म ने पूरे दस्तावेज जमा किए। सर्वेयर आया और रिपोर्ट के बाद कंपनी ने क्लेम देने से इन्कार कर दिया।
इंश्योरेंस कंपनी की दलील थी कि आग जहां लगी, वह परिसर बीमा से बाहर था। कंपनी ने कहा कि आग आर्मी मोटर की दुकान में लगी। इस पर फर्म ने कहा कि आर्मी मोटर कोई को पंजीकृत फर्म नहीं है। न ही कोई अलग जीएसटी नंबर है। न ही कोई अतिरिक्त खाता है। आर्मी मोटर नाम की दुकान आर्मी साइकिल स्टोर परिसर में ही है। इसके बावजूद इंश्योरेंस कंपनी ने दावा खारिज कर दिया।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने आदेश दिया कि सारे जरूरी दस्तावेजों और बैंक के प्रमाणपत्र के बावजूद क्लेम न देना सेवा में कमी के तहत आता है। आयोग ने पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाया।