सौरभ तामेश्वरी
उदयपुर : उदयपुर, विदिशा जिले का एक कस्बा; गंजबासौदा तहसील से कुछ ही किलोमीटर दूर है। यह मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है, वहां की पुरातात्विक धरोहर के लिए। भगवान शिव का नीलकंठेश्वर मंदिर, जो परमारकाल में बने मध्यप्रदेश के मंदिरों में से काफी संरक्षित है। यहां बावड़ी, कुएं, तालाब और कई मनमोहक प्रतिमाएं हैं। इन प्रतिमाओं में बराह, नटराज, शिव, गणेश, नंदी आदि प्रतिमाएं शामिल हैं।
रविवार को एक अखबार में विदिशा के फ्रंट पेज पर एक नटराज प्रतिमा के साथ फोटो छपी। इंटेक के साहब ने दावा किया कि वह दुनिया की सबसे बड़ी नटराज प्रतिमा हो सकती है। उनकी यह बात काफी हद तक सही हो सकती है लेकिन उसके साथ उन्होंने कहा कि इसे INTECH ने खोजा है, प्रतिमा खंडहर में पड़ी हुई थी।
उनके इस दावे को स्थानीय लोगों ने गलत बताया है। साथ ही कहा है कि इंटेक ने उदयपुर में सुधार के लिए काम किए हैं, वह भी संदिग्ध हैं। लोगों का कहना है कि वर्षाें से इस प्रतिमा को लोग रावणटोल, रावण बब्बा की मूति व अन्य-अन्य नामों से जानते हैं। ऐसे में इंटेक द्वारा प्रतिमा को खोजने का दावा करना पूर्णत: असत्य है। समाचार पत्रों में उनके लोगों की बात को स्थान दिया गया है। खुद जिस पेपर में साहब का दावा छपा था उसके बाद एक खबर लगी, जिसमें जनता की बात को बताया गया और दावे पर सवाल को स्थान मिला।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र दांगी जी ने प्रतिमा को लेकर लिखा कि वह स्वयं इस प्रतीमा को पिछले 50 सालों से देखते आ रहे हैं। उदयपुर से मुरादपुर गांव जाते हुए रास्ते में ही यह प्रतिमा मिल जाती है। ऐसे ही सामाजिक कार्यकर्ता और किसान प्रवीण शर्मा जी ने तो इंटेक के दावे को पूर्णत: झूठा बताया। साथ में इस बात पर भी जोर दिया, उदयपुर की दशा सुधारने में इंटेक की भूमिका ही संदिग्ध है।
मैं स्वयं इसे काफी समय से देखते आ रहा हूं। हमने अपनी उदयपुर हेरिटेज वॉक के दौरान प्रतिमा कितनी ही बार देखी है। वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी जी ने उदयपुर को बचाने के लिए प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह इंटेक के एकाधिकार को समाप्त करें। उदयपुर को बचाएं। उन्होंने लिखा है कि #INTACH का दावा हास्यास्पद और कार्यप्रणाली संदिग्ध है। नटराज की विशाल प्रतिमा वर्षों से है। किसी खंडहर की खुदाई से नहीं निकली। वह पहाड़ी ढलान पर है। खुद INTACH को 2021 के पहले उदयपुर का पता मालूम नहीं था। सरकार प्रदेश में इनका एकाधिकार खत्म करे। उदयपुर को बचाए।
इस पूरे मामले में अगर अभी लोग समझ न पाते। 50-100 साल बाद पेपर की देश के प्रतिष्ठित अखबार की कटिंग साहब के कार्यालय में बची रहती। इसके बाद लोग ये ही समझते कि नटराज प्रतिमा इंटेक की टीम ने खोजी। जबकि इसकी सच्चाई यह है कि कई सालों से लोगों को उसके बारे में पता है। वे वहां पर जाते हैं। उसे संरक्षित बनाए रखने के लिए आसपास दीवार भी बनी हैं।
पत्रकार और स्तंभकार हैं।