मुंबई: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को बने हुए 2 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में शिंदे गुट के महज 9 विधायकों को ही मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। ऐसे में, अभी भी एकनाथ शिंदे के समर्थक 31 विधायक अपने लिए मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन शिंदे के लिए सब को मंत्री पद दिला पाना काफी मुश्किल है। विधायक भी इस बात को महसूस कर रहे हैं। जिसकी वजह से उनके अंदर नाराजगी भी देखी जा रही है। इसकी वजह से महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि एकनाथ शिंदे के साथ आए कई विधायक अब वापस उद्धव ठाकरे के पास लौट सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ना तय है।
चर्चा यह भी है कि विधायकों की नाराजगी के की वजह से एकनाथ शिंदे कैबिनेट का दूसरा विस्तार भी नहीं कर पा रहे हैं। शिंदे जानते हैं कि सब को मंत्री पद देना संभव नहीं है। वहीं उनकी सहयोगी और महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के भी विधायक अपने लिए मंत्री पद का सपना संजोए बैठे हैं। ऐसे में शिंदे गुट के विधायकों को कितनी तवज्जो मिल पाएगी। इस बात को भी शिंदे बहू भी समझते हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के समक्ष भी उद्धव ठाकरे गुट द्वारा शिंदे गुट को चुनौती दी गई है। ऐसे में एकनाथ शिंदे के सामने एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी स्थिति है।
एक-एक विधायक जरूरी
शिंदे गुट का दावा है कि उनके पास दो तिहाई बहुमत यानी 37 शिवसेना विधायकों का समर्थन है। हालांकि शिंदे यह दावा करते रहे हैं कि उनके पास शिवसेना के 40 और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। यदि 40 में से चार विधायक भी बगावत करके उद्धव ठाकरे के खेमे में चले जाते हैं तो एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ जाएंगी और वह दलबदल कानून के शिकंजे में फंस सकते हैं। आपको बता दें कि शिवसेना के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में दो तिहाई बहुमत यानी 37 विधायकों का समर्थन बनाए रखना एकनाथ शिंदे के लिए बेहद जरूरी है। लिहाजा एकनाथ शिंदे लगातार अपने विधायकों को समझाने और मनाने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि उनकी सरकार पर किसी तरह का खतरा पैदा न होने पाए।
बीजेपी को भी चाहिए ज्यादा मंत्रिपद
महाराष्ट्र सरकार के पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में कुल 18 मंत्रियों ने शपथ ली थी। यदि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को मिला दिया जाए तो कुल 20 मंत्रियों का मंत्रिमंडल अब तक बन चुका है। इसके अलावा शिंदे सरकार ज्यादा से ज्यादा 23 अन्य विधायकों को मंत्री बना सकती है। जबकि अकेले शिंदे गुट के ही 31 विधायक मंत्री पद पाने की आस लगाए बैठे हैं। जबकि मुख्यमंत्री को बीजेपी विधायकों को मंत्रिपद में बराबर की हिस्सेदारी देनी है। हालांकि बीजेपी संख्याबल के हिसाब से ज्यादा पदों की दावेदारी कर रही है।