नई दिल्ली: उत्तराखंड में सरकारी विभागों के साथ ही निगमों एवं परिषदों में पिछले 10 साल से बतौर दैनिक वेतनभोगी, संविदा और वर्कचार्ज के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शनिवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में इन्हें नियमित करने पर सहमति बनी है।
इसके लिए कट ऑफ डेट क्या होगी, इस पर अगली कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जाएगा।उत्तराखंड गठन के बाद विभिन्न विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर दैनिक वेतनभोगी, वर्कचार्ज और संविदा के आधार पर बड़ी संख्या में कर्मचारी रखे गए थे। वर्ष 2011 में सरकार ने इनके नियमितीकरण के लिए पॉलिसी बनाई थी।
जिन कर्मचारियों को रिक्त पदों के सापेक्ष रखा गया था, उनके 10 साल की सेवा पूरी होने पर यह लाभ देते हुए उन्हें पक्का कर दिया गया था। दिसंबर 2013 में सरकार ने फिर इस पॉलिसी में संशोधन करते हुए नियमितीकरण की शर्त 10 साल के बजाय पांच वर्ष कर दी। इस पर यह प्रतिबंध भी लगाया गया था कि आगे इस पॉलिसी को बढ़ाया नहीं जाएगा, लेकिन 2016 में एक बार फिर सरकार ने कर्मचारियों की नियमितीकरण पॉलिसी में संशोधन करते हुए इसे बढ़ा दिया।
कई युवाओं ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। दिसंबर 2018 में हाईकोर्ट ने 2016 की पॉलिसी को खारिज करते हुए 2013 की पॉलिसी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ऐसे कर्मचारी नियमित नहीं हो पा रहे थे। फरवरी 2024 में हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 की पॉलिसी को बहाल कर दिया, लेकिन यह शर्त भी लगा दी कि नियमितीकरण के लिए पांच के बजाय 10 वर्ष को ही आधार बनाया जाए।
राहत मृतक आश्रित भर्ती का रास्ता खुला
उत्तराखंड की सहकारी चीनी मिलों में मृतक आश्रित कोटे से भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। 2018 में मिलों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर इस पर रोक लगा दी गई थी। विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा ने नए सिरे पर इस पर पहल की। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने चार चीनी मिलों में ऐसे 68 पदों पर इस कोटे से भर्ती कराने पर मुहर लगा दी है, जबकि 123 पदों पर अगली कैबिनेट में फैसला लिया जाएगा।
आउटसोर्स कर्मचारी नहीं आएंगे दायरे में
कैबिनेट की इस सहमति के बाद राज्य के विभिन्न विभागों और निगमों में दैनिक वेतनभोगी, संविदा एवं वर्कचार्ज के रूप में काम कर रहे चार हजार से अधिक कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता है। अलबत्ता, उपनल और अन्य एजेंसियों के मार्फत आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारी इस दायरे में कतई नहीं आएंगे।