देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पुण्य सलिल में अपनी माता को स्नान कराया और कहा कि महाकुंभ में उन्हें अपनी माता को स्नान कराने का जो सौभाग्य उन्हें मिला है, यह उनके जीवन के उन अमूल्य और भावुक क्षणों मे से एक है जिन्हें शब्दों में पिरोना सम्भव नहीं है। महाकुंभ में परिवार संग त्रिवेणी घाट पर आस्था की डुबकी लगाते हुए मुख्यमंत्री भाव विभोर नजर आये और उन्होंने कहा कि आस्था का यह स्नान सौभाग्य से ही मिलता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी माता, पत्नी और बेटे के साथ प्रयागराज के महाकुंभ में त्रिवेणी घाट पर आस्था की डुबकी लगाई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी माता को अपने हाथों से जब स्नान कराया तो वह काफी भाव विभोर दिखाई दिये और उन्हें यह आभास हो रहा था कि आज वह महाकुंभ में अपनी माता को अपने हाथ से स्नान कराकर अपने बेटे होने का धर्म निभा रहे हैं।
आज प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पुण्य सलिल में माता जी को स्नान कराने का सौभाग्य मिला। यह मेरे जीवन के उन अमूल्य और भावुक क्षणों में से एक है, जिन्हें शब्दों में पिरोना संभव नहीं।
वेदों, शास्त्रों और पुराणों में उल्लेखित है कि कोई भी जीव माता के ऋण से कभी उऋण नहीं हो… pic.twitter.com/TDHu07wBUp
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 10, 2025
उन्होंने कहा कि महाकुंभ शताब्दियों से धर्म और संस्कृति से जुडता रहा है। उल्लेखनीय है कि वेदों, शास्त्रों और पुराणों मे उल्लेखित है कि कोई भी जीव माता के ऋण से कभी उ़ऋण नहीं हो सकता क्योंकि माता ही वह प्रथम स्रोत है जिनसे हमारा अस्तित्व जुडा हुआ है। माता का स्नेह अनंत, उनकी ममता अपीरमेय और उनका आर्शिवाद अश्रुण होता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस दिव्य क्षण में अनुभव हुआ कि मां केवल जन्मदात्री ही नहीं अपितु सजीव तीर्थ है जिनकी सेवा और सम्मान से जीवन के समस्त पुण्य फलीभूत होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भावपूर्ण क्षण मेरे लिए सनातन संस्कृति, परम्परा और मातृशक्ति का सजीव स्वरूप बनकर हृदय पटल पर सदैव अंकित रहेगा। इस दौरान सीएम धामी की पत्नी गीता धामी ने संगम मे स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पतितपावनी माँ गंगा, माँ यमुना एवं माँ सरस्वती के परमपवित्र दिव्य त्रिवेणी संगम में महाकुंभ-2०25 के अलौकिक एवं पुण्यदायी कालखंड में सपरिवार स्नान का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस अविस्मरणीय क्षण में पवित्र जलराशि से अभिसिक्त होकर आध्यात्मिक शुद्धि एवं दिव्यता का अद्वितीय अनुभव प्राप्त हुआ।
तीर्थराज प्रयाग की पुनीत धरा पर ईश्वर से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं राज्य की उन्नति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ शताब्दियों से अपनी अक्षुण्णता बनाए रखते हुए सनातन धर्म की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के माध्यम से कोटि जनों को धर्म व संस्कृति से जोड़ता आ रहा है। यह केवल आध्यात्मिक चेतना ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व बंधुत्व का प्रतीक है जो मानवता को नैतिक मूल्यों एवं विश्व मंगल की ओर प्रेरित करता है।