नई दिल्ली: प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों जिलों में जाकर विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने प्रगति यात्रा के दौरान अररिया एवं खगड़िया में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खोलने की घोषणा की. जिसके बाद कैबिनेट ने अररिया एवं खगड़िया में नये मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल खोलने को लेकर राशि की मंजूरी दे दी है. अररिया में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निर्माण के लिए 4 अरब 1 करोड़ 78 लाख रुपए की योजना राशि स्वीकृत की गई है.
यह सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल अररिया के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इसी तरह खगड़िया में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान की थी, इसके निर्माण की राशि को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इस पर 4 अरब 60 करोड़ 56 लाख रुपए खर्च होंगे. यह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खगड़िया के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में सहायक होगा. इलाज के लिए लोगों को बेहतर सुविधाएं अपने जिले में ही उपलब्ध हो सकेगी.
इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई पर जोर
पहले बिहार में नाम मात्र के मेडिकल कॉलेज थे जिसके कारण मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए बिहार के छात्रों को बाहर जाना पड़ता था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालने के साथ ही सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर आवश्यक कदम उठाना शुरू किया. मुख्यमंत्री का शुरू से उद्देश्य रहा है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए बिहार के छात्र-छात्राओं को मजबूरी में बाहर नहीं जाना पड़े. इसी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी.
नीतीश सरकार बिहार में नये मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ ही पुराने मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की क्षमता बढ़ाने को लेकर भी गंभीर है. बिहार का सबसे पुराना अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पी०एम०सी०एच०) को 5400 बेड की क्षमता का बनाया जा रहा है. बाकी 5 पुराने मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों का भी विस्तार कर 2500 बेड की क्षमता का अस्पताल बनाया जा रहा है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार
आईजीआईएमएस, पटना का भी विस्तार कर उसे 3000 बेड की क्षमता का अस्पताल बनाया जा रहा है. एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है. एनएमसीएच, गया और दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का भी विस्तार हो रहा है. सदर अस्पतालों को भी हाईटेक बनाया जा रहा है. जिलों में मॉर्डन अस्पताल भी बनाये जा रहे हैं. इसके साथ ही सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (एपीएचसी) को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है. मुजफ्फरपुर में 100 बेड के शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पीकू) और 100 बेड के मातृ-शिशु वार्ड का लोकार्पण किया गया है. बिहार देश का पहला राज्य है, जहां 100 बेड की क्षमता वाला पीकू अस्पताल शुरू हुआ है.
बिहार में शिशु मृत्यु दर में गिरावट आयी है. राज्य में शिशु मृत्यु दर 2005-06 में जहां प्रति एक हजार जन्म पर 60 थी, अब घटकर 27 हो गई है. साल 2015 में प्रति एक हजार जन्म में शिशु की मौत की संख्या 42 थी. साल 2016 में यह आंकड़ा घटकर 38 पर आया तो 2017 में 35 पर आ पहुंचा. 2018 में 32, 2019 में 29 और वर्ष 2020 में घटकर 27 पर आ गया. वर्ष 2020 में जब बिहार में शिशु मृत्यु का आंकड़ा 27 पर पहुंचा तब राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर 28 थी. इस तरह बिहार शिशु मृत्यु दर के मामले में राष्ट्रीय औसत से भी नीचे आ गया. बिहार में मातृ मृत्यु दर में भी 12 अंकों की गिरावाट आई है.
नर्सिंग कॉलेज एवं जीएनएम कॉलेज की बारी
एक समय बिहार में कोई नर्स ट्रेनिंग कॉलेज नहीं था, जिसके कारण बिहार में ट्रेंड नर्सों का अभाव था. इसको देखते सरकार ने नर्सिंग कॉलेज एवं जीएनएम कॉलेज खोलने का फैसला लिया. आज बिहार के कई जिलों में एएनएम और जीएनएम कॉलेज खोले गये हैं. वर्ष 2006 में बिहार में टीकाकरण की दर सिर्फ 18 प्रतिशत था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में की गई लगातार कोशिशों का नतीजा है कि आज यह दर बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है. अब अगला लक्ष्य बिहार को टीकाकरण के मामले में टॉप 5 राज्यों में ले जाना है. राज्य के जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का टीकाकरण कराया गया है.