नई दिल्ली: 23 अगस्त का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक साबित होने वाला है। चांद से मिलने के लिए रवाना हुआ भारत का चंद्रयान-3 इस दिन चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला है। भारत के इस मिशन पर दुनिया भर की नजरें हैं। इस बीच, खबर यह भी है कि रूस अपना चंद्र मिशन शुरू करने जा रहा है। वह 47 साल बाद शुक्रवार को चंद्र मिशन के लिए अपने अंतरिक्ष यान लूना-25 को रवाना करेगा। रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि रूस का यह अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 से पहले चंद्रमा पर उतर सकता है।
14 जुलाई को रवाना हुआ चंद्रयान-3
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस अपना अंतरिक्ष यान मास्को से 5,550 किलोमीटर पूर्व में स्थित वोस्तोच्नी कोस्मोड्रोम से लॉन्च करेगा। यह लॉन्चिंग चंद्रयान-3 के रवाना होने के करीब चार सप्ताह बाद होने जा रही है। भारत का चंद्रयान-3 गत 14 जुलाई को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया है और उसका चक्कर लगा रहा है।
दक्षिणी हिस्से में हो सकती है बर्फ
रिपोर्ट के मुताबिक रूस का अंतरिक्षयान लूना-25 भी चंद्रमा के उसी दक्षिणी हिस्से में लैंड करेगा जहां चंद्रयान-3 को उतारने की तैयारी है। जानकारों का कहना है कि चंद्रमा का यह दक्षिणी हिस्से में बर्फ हो सकती है। इस बर्फ का इस्तेमाल ईंधन, ऑक्सीजन और पीने के पानी के लिए हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के संकेत हैं और इससे वहां भविष्य में मनुष्य जीवन की संभावना बन सकती है।
चंद्रमा तक पहुंचने में 5 दिन लगेंगे
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस ने कहा है कि अंतरिक्षयान लूना-25 को चंद्रमा तक पहुंचने में पांच दिन लगेंगे। फिर पांच से सात दिन तक चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगाने के बाद वह चांद के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा। लूना-25 की रवानगी और चंद्रमा पर उसके उतरने की टाइमलाइन चंद्रयान-3 की तिथि से टकरा सकती है या यह भी हो सकता है कि लूना-25 उससे पहले चांद पर उतर जाए।
चांद पर एक साल तक रहेगा लूना-25
अपने चंद्र अभियान के बारे में रोस्कोसमोस का कहना है कि दोनों अभियान एक-दूसरे के रास्ते में रुकावट नहीं बनेंगे क्योंकि दोनों की लैंडिंग की जगहें अलग-अलग हैं। उसने कहा कि चंद्रयान-3 और लूना-25 एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं। चंद्रमा पर सभी के लिए पर्याप्त जगह है। चंद्रमा पर चंद्रयान-3 दो सप्ताह तक रहेगा और उसकी सतह का परीक्षण करेगा जबकि लूना-25 की अवधि एक साल है।