नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों के मद्देनजर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इस ‘बड़े घोटाले’ की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की जरूरत है। खरगे ने आरोप लगाया कि जब तक जेपीसी इस मुद्दे की जांच नहीं करती, तब तक यह चिंता बनी रहेगी कि ”पिछले सात दशकों में कड़ी मेहनत कर बनाई गईं भारत की संवैधानिक संस्थाओं से समझौता करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने सहयोगी को बचाते रहेंगे।” कांग्रेस ने कहा कि सरकार को अडाणी समूह की नियामक की जांच में सभी हितों के टकराव को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की अपनी मांग दोहराई।
खरगे ने ‘एक्स’ पर लिखा, ”जनवरी 2023 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद सेबी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोगी अडाणी को उच्चतम न्यायालय में क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, सेबी प्रमुख से जुड़े एक लेन-देन के बारे में नए आरोप सामने आए हैं।” उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग के छोटे और मध्यम निवेशकों को संरक्षण दिए जाने की जरूरत है क्योंकि वे अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में लगाते हैं और उनका सेबी पर भरोसा है। खरगे ने कहा कि इस ‘बड़े घोटाले’ की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराना आवश्यक है। कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ”तब तक यह चिंता बनी रहेगी कि ‘पिछले सात दशकों में कड़ी मेहनत कर बनाई गईं भारत की संवैधानिक संस्थाओं से समझौता करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने सहयोगी को बचाते रहेंगे।”
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास कथित अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अडाणी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और विदेश स्थित फर्जी कंपनियों के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।” अडाणी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।