नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रखी. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अतीत में कांग्रेस सरकारें, घोषणाएं करने में माहिर हुआ करती थीं. घोषणाएं करना, फीता काटना, दीया जलाना, अखबार में तस्वीर छपवा देने से कांग्रेस का काम वहीं पूरा हो जाता था और उसका फायदा लोगों को नहीं मिल पाता था.
PM मोदी ने आगे कहा, शासन का मलतब भी यही है कि अपने ही हक के लिए नागरिकों को सरकार के सामने हाथ न फैलाना पड़े, सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें. यही तो शत प्रतिशत लाभार्थी को शत प्रतिशत लाभ से जोड़ने की हमारी नीति है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता के प्रति अपनी हकदारी का एहसास रखती है, वह ‘राज’ को अपना ‘जन्मसिद्ध अधिकार’ मानती है, लेकिन जब शासन की बात आती है, तो उसका ट्रैक रिकॉर्ड शर्मनाक है. वास्तव में, कांग्रेस शासन और सुशासन एक दूसरे के विरोधी हैं. जहां सुशासन होता है, वहां न केवल वर्तमान चुनौतियों, बल्कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं. हालांकि, दुर्भाग्य से हमारे देश पर लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का शासन रहा.
पीएम मोदी अपने भाषण में बोले, दशकों तक मध्य प्रदेश के किसानों, माताओं और बहनों ने बूंद बूंद पानी के लिए संघर्ष किया, क्योंकि कांग्रेस ने कभी जल संकट के स्थाई समाधान के लिए सोचा ही नहीं. जब देश में अटल जी की सरकार बनी, तब उन्होंने पानी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए गंभीरता से काम शुरू किया था. लेकिन 2004 में जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनी, कांग्रेस ने अटल जी के सभी प्रयासों को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
PM बोले, आज सात दशक बाद भी देश के अनेक राज्यों के बीच पानी को लेकर कुछ न कुछ विवाद है. जब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, कांग्रेस का राज था, तब ये विवाद आसानी से सुलझ सकते थे. लेकिन कांग्रेस की नीयत खराब थी इसलिए उसने कभी भी ठोस प्रयास नहीं किए. बीता दशक, भारत के इतिहास में जल-सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है कि देश और विदेश के सभी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ें, यहां आना-जाना आसान हो. विदेशी पर्यटकों के लिए हमने ई-वीजा जैसी योजनाएं बनाई हैं. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कभी भी देश की जल संरक्षण की बढ़ती जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया और न ही कभी जल संरक्षणवादी के रूप में बाबा साहेब के प्रयासों को मान्यता दी.
प्रधानमंत्री आगे बोले, बाबा साहब अंबेडकर की दूरदर्शिता और दूरदर्शिता ने भारत के जल संसाधनों, जल प्रबंधन और बांध निर्माण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. अंबेडकर जी ने भारत में प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्तमान केंद्रीय जल आयोग के गठन के पीछे भी उनके प्रयास ही हैं.
सोलर परियोजना का भी वर्चुअल उद्घाटन
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राज्य के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का भी वर्चुअल उद्घाटन किया. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सी आर पाटिल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मोदी को क्रमशः बेतवा और केन नदियों के जल से भरे दो कलश सौंपे, जिन्हें उन्होंने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ करने के लिए परियोजना के एक मॉडल पर डाला.
केन-बेतवा लिंक का फायदा
इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के दस जिलों के लगभग 44 लाख और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा, जिसकी अनुमानित लागत 44,605 करोड़ रुपये है. अधिकारियों ने कहा कि इस परियोजना से 2,000 गांवों के लगभग 7.18 लाख कृषि परिवार लाभान्वित होंगे, जिससे 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा होगी.
वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया
इस अवसर पर मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर उनकी स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. वाजपेयी सरकार ने सिंचाई आवश्यकताओं के साथ-साथ बाढ़ से निपटने के लिए नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव रखा था.
पीएम मोदी ने खजुराहो कार्यक्रम में 437 करोड़ रुपये की लागत से 1,153 अटल ग्राम सेवा सदनों के निर्माण के लिए भूमि पूजन भी किया.