नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, मंत्रियों के विभागों के बंटवारे हो गए, सभी ने अपना-अपना कार्यभार संभाल लिया, अब मोदी 3.0 फुल ऑन एक्शन मोड में नजर आ रही है। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने नए सियासी मुद्दे को तूल दे दिया है। कांग्रेस नेता ने पिछली सरकार में विपक्षी दलों के 146 सांसदों के निलंबन के मुद्दे को तूल देते हुए सरकार और भाजपा पर तीखा तंज कसा है।
कांग्रेस ने सांसदों के निलंबन के मुद्दे को क्यों उठाया?
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए ये सवाल किया है कि क्या अब 230 से अधिक सांसदों को निलंबित करेंगे। आपको समझाते हैं कि आखिर कांग्रेस ने सरकार गठन के दूसरे ही दिन इस मुद्दे को क्यों उठाया और इसके पीछे की सियासत क्या है। दरअसल, गोगोई ने आरोप लगाया है कि संसदीय लोकतंत्र के प्रति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दृष्टिकोण तब तक नहीं बदलेगा जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि फुटबाल के खेल की तरह संसद में इस बार विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की रक्षा पंक्ति बहुत मजबूत हो गई क्योंकि उसके पास 230 से अधिक सांसद हैं।
यहां ये समझना जरूरी है कि कांग्रेस ने सरकार गठन के तुरंत बाद इस मुद्दे को तूल क्यों दिया। दरअसल, सदन में संख्या बल अधिक होने के बाद विपक्ष इस बार मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। शुरुआत से ही वो जरा भी मौका नहीं देना चाहता, जिसके लिए उसने अभी से ही अपने सियासी चाल चलनी शुरू कर दी है।
‘मोदी सरकार नहीं पूरा कर पाएगी 5 साल का कार्यकाल’
कांग्रेस नेता गोगोई ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व शैली यह विश्वास पैदा नहीं करती कि यह सरकार पांच साल सफलतापूर्वक चल सकती है।
‘पिछले साल 146 सांसदों को कर दिया था निलंबित’
असम के जोरहाट से लोकसभा सदस्य गोगोई ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि ‘इंडिया’ गठबंधन के 236 सांसदों की उपस्थिति में यह एक ऐसी संसद होगी जहां वे (सत्तापक्ष) विधेयकों को मनममाने ढंग से पारित नहीं करा सकते, हमें डरा नहीं सकते, हमें निलंबित नहीं कर सकते।’ उन्होंने सवाल किया, ‘सरकार ने (पिछले साल) 146 सांसदों को निलंबित करा दिया था। क्या वे इस बार 236 को निलंबित करेंगे?’ गोगोई पिछली लोकसभा में सदन के भीतर कांग्रेस के उप नेता थे।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर क्या बोले गोगोई?
गोगोई ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि राजग की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यू) के नेता नीतीश कुमार ने सरकार गठन में सबकुछ भाजपा पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं के पास ‘बेहद चतुर राजनीतिक दिमाग’ है और उन्हें आंकने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए क्योंकि ‘केवल समय ही बताएगा कि कि उनके असल इरादे क्या हैं।’
‘अग्निपथ योजना को हटाने की मांग करते रहेंगे’
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं तब तक उन्हें संसदीय लोकतंत्र के प्रति भाजपा के दृष्टिकोण में बदलाव की उम्मीद नहीं है। गोगोई का कहना था, ‘उनके पास अपनी पार्टी के भीतर ही अपना दृष्टिकोण बदलने का लचीलापन नहीं है… प्रधानमंत्री कार्यालय कैबिनेट सहयोगियों को निर्देशित करेगा। सहयोगी दल अपने राज्यों को विशेष दर्जा देने, जाति जनगणना कराने, ‘अग्निपथ’ योजना को हटाने की मांग करते रहेंगे लेकिन मुझे नहीं लगता कि सहयोगी दलों को लेकर उनका (मोदी) दृष्टिकोण बदल जाएगा।’
उनका कहना है, ‘जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, मुझे नहीं लगता कि संसद के प्रति उनका दृष्टिकोण बदलने वाला है। वे अभी भी दबाव डालने, निलंबित करवाने, अयोग्य घोषित कराने, निशाना बनाने की कोशिश करेंगे। लेकिन हां, फुटबाल की तरह, जहां पहले तीन रक्षक थे, हमारी दीवार (रक्षकों की) अब बड़ी और अधिक मजबूत है।’ गोगोई ने कहा, ‘यह हमारी (विपक्ष की) भूमिका है और जनता हमसे यही उम्मीद करती है। जनता ने हमें इसी के लिए वोट दिया है और हम यही करने की उम्मीद करते हैं।’
‘जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को विनम्रता का पाठ पढ़ाया’
उन्होंने कहा कि इस चुनाव का सार यही है कि भारत की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘‘विनम्रता का पाठ’’ पढ़ाया है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई ने कहा कि चुनावों में जो आंकड़े सामने आए हैं और जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए यह नहीं लगता कि मोदी में गठबंधन सरकार चलाने की क्षमता है।
गोगोई का कहना है, ‘मोदी जी अपने मंत्रिमंडल तक को विश्वास में नहीं लेते। जब उन्होंने नोटबंदी की, तो वित्त मंत्री को पता नहीं था। जब उन्होंने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया, तो उनके मंत्रिमंडल को पता नहीं था। जब वह ‘अग्निपथ’ लाए, तो उनके मंत्रिमंडल को पता नहीं था। इसलिए जो व्यक्ति अपने मंत्रिमंडल को भी विश्वास में नहीं ले सकता, वह राजग को कैसे विश्वास में लेगा?’
उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के सुचारु रूप से काम करने के लिए एक खुले दिमाग, एक समावेशी दृष्टिकोण, सुनने की क्षमता और लचीला होना आवश्यक है जैसा अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में हुआ था। चुनाव में कांग्रेस के विजयी होने के दावे के विरोध में भाजपा के तर्क के बारे में पूछे जाने पर गोगोई ने कहा कि भाजपा अकेले नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में लड़ी और कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन के रूप में लड़ रही थी तथा परिणाम को उस दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
इस बार के लोकसभा चुनाव में राजग को 293 सीट तो ‘इंडिया’ गठबंधन को 234 सीट मिलीं, लेकिन निर्दलीय सांसदों विशाल पाटिल और पप्पू यादव ने भी कांग्रेस के प्रति समर्थन का ऐलान किया है।