नई दिल्ली : गुजरात में कांग्रेस दो दशक में भाजपा की रणनीति को समझ ही नहीं पायी। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस ने भाजपा को भावनात्मक मुद्दे उपहार में दिए। भाजपा ने उन्हें मोदी और गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया। कोई भी मुद्दा हो, भाजपा उसे मोदी केंद्रित करने की कोशिश करती है। यह मुद्दे कभी विपक्ष उसे देता है या भाजपा खुद तैयार करती है। यह रणनीति लगभग हर चुनाव में सफल होती दिखाई देती है। मधुसूदन मिस्त्री के ‘औकात’ के बयान से शुरू हुआ मुद्दों को भाजपा ने मोदी और गुजरात की औकात से जोड़ दिया। भाजपा ने गुजरात चुनाव को शुरूआत से लोकसभा का सेमीफाइनल और मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का मौका बताकर भावनात्मक दांव चला था।
मिस्त्री ने दिया अवसर
गुजरात में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं था लेकिन शुरूआत में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, कांग्रेस सरकार सत्ता में आती है तो नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदल कर उन्हें औकात दिखा देंगे। बस फिर क्या था भाजपा ने पूरा मामला गुजरात और मोदी की औकात से जोड़ दिया। भाजपा ने कहा कि वे गुजरात के लोगों को औकात दिखाने की बात कर रहे हैं। उनका यह बयान बड़ा मुद्दा बन गया।
खरगे के बयान ने भी बिगाड़ी फिजा
चुनाव के अंतिम दिनों में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन भी भाजपा की रणनीति में फंस गए। उन्होंने मोदी की तुलना 100 के रावण से कर दी। भाजपा ने राम, गुजरात की अस्मिता और मोदी के अपमान से जोड़ दिया। गुजरात के लोगों को याद दिला दिया कि जो लोग राम के अस्तित्व को ही नहीं मानते, वे चुनाव जीतने के लिए रावण को याद कर रहे हैं।
नहीं लिया सबक
कांग्रेस ने जब-जब मोदी को घेरने की कोशिश की तब-तब वह भाजपा के दांव में फंस गई। सबसे पहले सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर बताकर मोदी पर निशाना साधा था लेकिन उनका बयान कांग्रेस को ही भारी पड़ गया। इसके बाद के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया, वह भी कांग्रेस की पार नहीं लगा सका और कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा।