- सीबीआई जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए : माहरा
- कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड कम्पनी को काम देने पर भी उठाए सवाल
देहरादून। उत्तराखण्ड कांग्रेस ने राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिन्ता व्यक्त करते हुए सरकार पर कई गंभीर आराप लगाए है। गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि आज कल विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई नोटिस लेकर अस्पतालों तक में पहुंच रही है, मगर एम्स ऋषिकेश में हुए भ्रष्टाचार पर खामोश है।
कहा कि एम्स ऋषिकेश में गुजरात के गांधीनगर बेस राजदीप इंटरप्राइस को मानव संसाधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का जीता जागता उदाहरण है। इस कम्पनी को गुजरात, मध्य प्रदेश व राजस्थान में ब्लैक लिस्टेड किया गया है, मगर उत्तराखण्ड में इसे बड़ा काम दिया जा रहा है।
माहरा ने कहा कि भ्रष्टाचार में जीरो टॉलिरेंस का राग अलापने वाली सरकार में जिस प्रकार विभिन्न विभागों में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले खुल रहे हैं उससे सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलिरेंस की पोल खुल गई है।
विपक्षी दल के नेताओं के खिलाफ जिस प्रकार सीबीआई की और से तुरंत गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है, मगर पिछले तीन वर्ष से एम्स घोटालों की जांच के बाद एक भी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, हाल ही में उद्यान विभाग में हुए भारी भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच के आदेश भी उच्च न्यायालय को देने पड़े हैं।
कांग्रेस मांग करती है कि ऋषिकेश स्थित एम्स चिकत्सालय में अब तक हुए इन सभी भ्रष्टाचारों की सीबीआई की और से की गई जांच सार्वजनिक की जाय, नये मामलों की उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई जांच कराते हुए भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाय।
राजदीप इंटरप्राइस पर भी साधा निशाना
माहरा ने कहा कि अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की और से संचालित हॉस्पिटल में पैसों की अनियमितता व नर्सिंग स्टॉफ की तनख्वाह में की गई हेराफेरी के चलते हाईकोर्ट ने इस फर्म को ब्लैक लिस्टेड किया हुआ है।
कम्पनी ने नर्सिंग स्टॉफ के 1200 पदों में से 600 पदों पर केवल राजस्थान के लोगों को भर दिया, इसमें भी एक ही परिवार के 6 लोगों को रोजगार दे दिया गया, क्या यह राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार नौजवानों के साथ छलावा नही है। ने रंग रोगन कराने में भी भारी अनियमित्ता हुई है।
वहीं, उपकरणों की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता के चलते अपराध निरोधक शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया था व सीबीआई अपराध निरोधक शाखा की और से इसकी जांच भी की गई, मगर उसकी जांच कहां तक पहुंची किसी को पता नहीं है।
कहा कि 2018 में कंकाल और हड्डियों की खरीद व मेडिकल उपकरणों की खरीद में भी सीबीआई ने जांच की। एमआरआई मशीन खरीद घोटाला खुलने के बाद खराब एमआरआई मशीनों से की गई टैस्टिंग की रिपोर्ट मरीजों के परिजनों को नहीं दी जा रही है जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।