नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ ही जाति जनगणना कराने का ऐलान किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के ऐलान के बाद अब इसका श्रेय लेने की सियासत तेज हो गई है.
ऐसे में अब कांग्रेस जल्द ही जातिगत जनगणना पर देशभर में राज्यवार हस्ताक्षर अभियान चलाएगी, ताकि इसका क्रेडिट उससे छिनने न पाए.
इस अभियान के तहत जातिगत जनगणना के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेगी कि वो सिर्फ जाति का ही एक कॉलम जनगणना में जोड़कर खाना पूर्ति न करे.
रखे जाएंगे तेलंगाना मॉडल के 56 सवाल
सूत्रों का कहना है कि इस हस्ताक्षर अभियान के तहत एससी, एसटी, ओबीसी और दलितों के बीच तेलंगाना मॉडल के 56 सवाल भी रखे जाएंगे, जिससे जातिगत जनगणना में आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक स्थिति की भी जानकारी सामने आए. इसमें जनता अगर खुद कुछ जोड़ना चाहती है तो वो भी किया जाएगा.
साथ ही इस अभियान के तहत समझाया भी जाएगा कि तेलंगाना मॉडल ही एक तरह का सही एक्सरे होगा, जिसके बाद योजनाओं से लेकर फंड एलोकेशन, आरक्षण वगैरह सही तरीके से बंटवारा हो सकेगा. इसके अलावा मास कॉन्टैक्ट के और भी कार्यक्रम चलाने पर भी सहमति बनी है, जिसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.
जाति जनगणना के ऐलान पर राहुल ने कही थी ये बात
इससे पहले बुधवार को राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की अचानक घोषणा का राहुल गांधी ने स्वागत किया था और इसके पूरा होने के लिए समयसीमा की मांग की थी. उन्होंने केंद्र से आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने और संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में कोटा सुनिश्चित करने का आग्रह किया था.
गांधी ने कहा था कि सरकार पर दबाव बनाने के कांग्रेस पार्टी के प्रयास सफल रहे, लेकिन उन्होंने तुरंत यह भी कहा कि जाति जनगणना महिला आरक्षण विधेयक, 2023 की तरह नहीं होनी चाहिए, यानी बिना किसी विशिष्ट समयसीमा के.
उन्होंने कहा था किजाति जनगणना हमारा मॉडल था. मुझे खुशी है कि उन्होंने इसे अपनाया है लेकिन हम चाहते हैं कि हमें तारीखें बताई जाएं कि यह कब तक पूरा हो जाएगा और इसके लिए बजटीय प्रावधान होना चाहिए.