नई दिल्ली: क्या कांग्रेस अपने ही बुने मकड़जाल में फंस गई है? हरियाणा में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के भीतर खींचतान मची है। खासकर उस दिन से जब कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने की संभावनाओं को बल दिया। खैर, ये अलग बात है कि जब गठबंधन की नौबत आई है तो जरूर कांग्रेस को बुरे संकेत मिल गए होंगे। वरना कुछ दिनों पहले तक अकेले सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी कांग्रेस कर चुकी थी। हालांकि जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन के साथ शेयरिंग फॉर्मूले की चर्चा चलने लगी है तो हरियाणा की मुख्य विपक्षी पार्टी के भीतर खींचतान और तेज हो चुकी है।
हरियाणा में कांग्रेस 10 साल से सत्ता वापसी के लिए संघर्ष कर रही है। इस बार बीजेपी को मात देने के लिए पार्टी को सहयोगी की जरूरत पड़ रही है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की ओर पासा फेंका है तो वो उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। एक धड़ा इस गठबंधन के समर्थन में कतई नहीं है। इसके अलावा गुटबाजी पहले से ही कांग्रेस के लिए सिरदर्द रही है। इस बार अंदरुनी खींचतान और भयंकर हो रही है। कांग्रेस की लिस्ट आने में देरी के लिए इन सब चीजों को जिम्मेदार माना जा सकता है। पार्टी में मची खींचतान के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान ने शाम 5 बजे हरियाणा चुनाव को लेकर दोबारा सीईसी की बैठक बुला ली है।
AAP से गठबंधन का विरोध
हरियाणा कांग्रेस की लोकल लीडरशिप नहीं चाहती है कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाए। खासकर उसके विरोध में भूपेंद्र सिंह हुड्डा बताए जाते हैं और इसके पीछे की वजह आम आदमी पार्टी की शर्तें भी हो सकती हैं, जहां वो कई सीटों पर दावेदारी ठोकने की तैयारी करके बैठक गई है। हु्ड्डा गुट की परेशानी की इसलिए भी बढ़ जाती है कि अभी तक AAP जिन सीटों पर लड़ना चाहती है, वहां कांग्रेस की लोकल इकाई की नाराजगी बढ़ रही है।
टिकटों को लेकर अंदरुनी घमासान बढ़ा
टिकटों को लेकर गठित कांग्रेस की एक उप समिति की मैराथन बैठक हो चुकी है। बताया जाता है कि बावजूद इसके 30 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस के भीतर खींचतान बरकरार है। ड्डा खेमे के नेता कथित तौर पर कांग्रेस कमेटी नेतृत्व के कुछ मौजूदा विधायकों को टिकट देने से इनकार करने के फैसले से भी नाराज हैं। हरियाणा विधानसभा में इस पुरानी पार्टी के 28 विधायक हैं। सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने कथित तौर पर राज्य चुनावों के लिए हरियाणा के अधिकांश मौजूदा विधायकों के टिकट मंजूर कर दिए, लेकिन इनमें से कुछ नामों को अब रोक दिया गया। नामों पर पुनर्विचार के कारण पार्टी के उम्मीदवारों की सूची जारी करने में देरी हुई है।