नई दिल्ली: देश की संसद में जाति जनगणना (Caste census) संग्राम मचा है. इस बीच कांग्रेस ने सांसद अनुराग ठाकुर के भाषण का वीडियो X पर पोस्ट करने के लिए PM मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव (Privilege Motion) लाने का नोटिस दिया है. इसमें कथित तौर पर सदन की कार्यवाही से निकाले गए अंश का मुद्दा शामिल है. लोकसभा (Lok Sabha) में बजट पर अपने भाषण के दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की कुछ टिप्पणियों को स्पीकर ओम बिरला ने हटवा दिया था. जाति जनगणना से जुड़ी मांग को लेकर राहुल गांधी पर अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur on caste census) की एक टिप्पणी ने बवाल मचा दिया था.
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के खिलाफ राज्यसभा में विशेषशाधिकार हनन का नोटिस (Privilege notice against Amit Shah) लाया गया है. वहीं केरल से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के तीन सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से अनुरोध किया है कि वो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को वायनाड त्रासदी पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान अपने बयान को स्पष्ट करने का निर्देश दें. शाह ने कहा था- ‘राज्य ने केंद्र के मौसम संबंधी अलर्ट को नजरअंदाज कर दिया.’
संसद की कार्रवाई चलाने के लिए कुछ नियम होते हैं. कुछ नियम सांसदों को कुछ अधिकार देते हैं. हालांकि इन विशेषाधिकारों की कोई संहिताबद्ध सूची नहीं है. लेकिन इसमें संसदीय बहस के दौरान स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार शामिल है, ताकि सांसद इस पर अदालती कार्यवाही के लिए उत्तरदायी न हों.
पंजाब से कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है. कांग्रेस सांसद ने अनुराग ठाकुर के भाषण के एक्सपंज्ड हिस्से को ट्वीट करने पर आपत्ति जताई है. अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ये तय करना है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाए या नहीं.
पंजाब के जालंधर से लोकसभा सदस्य चन्नी ने इस नोटिस में दावा किया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ठाकुर के भाषण के उस अंश वाला वीडियो सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किया जिसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम सदन के विशेषाधिकार का हनन है.
लोकसभा नियमावली की नियम संख्या 222 जान लीजिए
गौरतलब है कि लोकसभा की कार्यवाही सदन की नियम पुस्तिका (रूलिंग) से चलती है. रूलबुक में एक अध्याय विशेषाधिकार प्रस्ताव से संबंधित है. संसद की रूलबुक में वर्णित नियम संख्या 222 में कहा गया है, ‘कोई भी सदस्य, लोकसभा अध्यक्ष की सहमति से किसी दूसरे सदस्य या लोकसभा या किसी समिति के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन का प्रस्ताव ला सकता है.’ नियम 225(1) में कहा गया है कि अगर लोकसभा अध्यक्ष नियम 222 के तहत विशेषाधिकार प्रस्ताव के नोटिस से सहमत होते हैं तो वो सदन की कार्यवाही के दौरान नोटिस देने वाले सदस्य को प्रस्ताव लाने की अनुमति दे सकते हैं. उनके कहने पर नोटिस देने वाला सदस्य अपनी सीट पर खड़ा होकर प्रस्ताव के बारे में संक्षिप्त बयान दे सकता है. वहीं अगर लोकसभा के सभापति ने नोटिस अस्वीकार करके उस कथित प्रस्ताव से अपनी सहमति नहीं जताई तो वह तत्काल अपने आसन से अपना फैसला सुना सकते हैं. ऐसा करते वक्त वो सदस्य का दिया नोटिस पढ़ सकते हैं और आखिर में यह बता सकते हैं कि इसे ठुकरा दिया गया है.
कांग्रेस का नोटिस राजनीति के अलावा और कुछ नहीं: BJP
सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कांग्रेस सांसद चन्नी के नोटिस पर आगे कदम उठाए जाने की संभावना नहीं है. इसके पीछे ये कहा जा रहा है कि ठाकुर ने अपने संबोधन में किसी का नाम नहीं लिया, जब उन्होंने कहा कि ‘जिनकी जाति पता नहीं, वो गणना की मांग कर रहे हैं’.
सूत्रों ने कहा कि ठाकुर की इस टिप्पणी को कार्यवाही से हटाया नहीं गया है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर किसी का जिक्र नहीं था. उन्होंने ने बताया कि ठाकुर के भाषण का एकमात्र हिस्सा जिसे हटाया गया, वह ‘झूठ’ शब्द का इस्तेमाल था, जिसे सदन के नियमों के अनुसार असंसदीय माना जाता है.
सूत्रों ने कहा कि यह विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का मामला ही नहीं बनता, हालांकि इस मामले में अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लेना है.
भाजपा से जुड़े सूत्रों ने कहा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कांग्रेस सांसदों द्वारा ऐसे भाषणों के वीडियो लिंक साझा करने का इतिहास रहा है, जिसके बड़े हिस्से कार्यवाही से हटा दिए जाते हैं. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस का नोटिस राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है.