नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रामचरितमानस से लेकर सनातन पर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने एक बार फिर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि रामचारितमानस पोटाशियम साइनाइड की तरह है, जब तक यह रहेगा तब तक विरोध करते रहेंगे. इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर मोर्चा खोल रखा है और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को ही मिटाने की बात कह डाली है. रामचरितमानस और सनातन पर की जा रहे बयानबाजी INDIA गठबंधन की सियासत के लिए संकट खड़े कर दिए हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मात देने के लिए विपक्षी दल वैचारिक मतभेद भुलकर एक साथ आए हैं और INDIA गठबंधन का गठन किया. बीजेपी के खिलाफ एक संयुक्त कैंडिडेट उतारने की रणनीति पर काम किया जा रहा है लेकिन इसके उलट INDIA गठबंधन के सहयोगी सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य और आरजेडी नेता ने रामचरितमानस को लेकर मोर्चा ही खोल रखा है तो डीएमके के नेता सनातन धर्म को लेकर बयानबाजी करने में जुटे हुए हैं. इस तरह से देखा जाए तो विपक्षी नेताओं ने बीजेपी को बैठे-बिठाए मुद्दा थमा दिया है, जिसे लेकर बीजेपी नेता ही नहीं पीएम मोदी ने भी आक्रमक रुख अपना लिया है.
BJP रामचरितमानस और सनातन पर आक्रामक
बीजेपी नेताओं को लगता है कि मौजूदा परिदृश्य में रामचरितमानस और सनातन पर बहस, हिंदू धर्म बनाम हिंदुत्व से सनातन बनाम अन्य में बदल रही है. फिर चाहे वे गैर-सनातनी हों या नास्तिक. स्वामी प्रसाद मौर्य, चंद्रशेखर अगर अपने यहां रामचरितमानस तो डीएमके अपने मूल द्रविड़ मतदाताओं आकर्षित करने के लिए सनातन धर्म पर अपने बयानों को दोहराना जारी रखती है तो तमिलनाडु से बाहर विपक्षी गठबंधन को राजनीतिक नुकसान हो सकता है. विपक्षी गठबंधन INDIA के कई सहयोगियों को अपने बचाव में जवाब देते तक नहीं बन रहा है. बीजेपी नेता कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को घेरने में जुट गई है. इसे देखते हुए विपक्षी नेता अब रक्षात्मक रुख अपनाने को मजबूर हो गए हैं.
INDIA गठबंधन के समन्वय समिति की बैठक में यह तय किया गया है कि सनातन पर किसी तरह से बयानबाजी नहीं करनी है. इसके बाद बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रेशेखर ने रामचरितमानस को पोटाशियम साइनाइड बता दिया और उन्होंने यह भी कहा कि जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध वो करते रहेंगे.
बिहार के शिक्षा मंत्री ने एक चौपाई ‘पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शूद्र न पूजहु वेद प्रवीणा’ पढ़कर सवालिया लहजे में कहा कि यह क्या है? क्या इसमें जाति को लेकर गलत बात नहीं कही गई है? शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पिछली बार रामचारितमानस के सुंदर कांड को लेकर दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उनके जीभ काटने की कीमत लगाई गई थी तो मेरे गले की कीमत क्या होगी?
सनातन पर डीएमके ने खड़े किए सवाल
उत्तर प्रदेश में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी लगातार रामचरितमानस और सनातन पर सवाल खड़े करने से अपने कदम पीछे नहीं खींच रहे हैं. स्वामी प्रसाद ने रामचरितमानस ही नहीं हिंदू धर्म को धोखा बताया था. उन्होंने यहां तक कह डाला था कि इस नाम का कोई धर्म है ही नहीं, बल्कि ये सिर्फ एक साजिश है. ब्राह्मणवाद की जड़ें काफी गहरी हैं और सारी विषमता की वजह ब्राह्मणवाद ही है. हिंदू धर्म केवल धोखा है. स्वामी प्रसाद अपनी बातों को साबित करते हुए कहते हैं कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कह कर इस देश के आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने में उनकी एक साजिश है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया और कोरोना से करते हुए कहा कि इसका महज विरोध ही नहीं किया जा सकता बल्कि इसे मिटाना भी होगा. उदयनिधि ही नहीं डीएमके नेता ए राजा ने सनातन को एचआईवी बता दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने भी सनातन को लेकर कहा था कि कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता, मानव की गरिमा सुनिश्चित नहीं करता वह धर्म नहीं है. जो धर्म समान अधिकार नहीं देता या इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता, वह बीमारी के समान है.
विपक्ष के लिए नुकसान न साबित हो जाए
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लोकसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच रामचरितमानस और सनातन पर विपक्षी दल के नेताओं के बयान विपक्षी गठबंधन के लिए सियासी तौर पर नुकसान साबित हो सकते हैं. बीजेपी इस मुद्दे को लेकर लगातार आक्रमक है और INDIA गठबंधन को हिंदू विरोधी कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. यूपी में पीएम मोदी ने जिस तरह शमशान बनाम कब्रिस्तान के मुद्दे को उठाकर 2017 के चुनाव में सारी फिजा मोड़ दी थी, उसी तरह से एक बार फिर से पीएम मोदी विपक्षी दलों पर आक्रमक हैं. उन्होंने गुरुवार को एमपी की रैली में भारतीय आस्था और संस्कृति पर हमला करने और सनातन को समाप्त करने की विपक्षी गठबंधन की साजिश बताई.
पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इस घमंडिया गठबंधन की नीयत है कि भारत को जिन विचारों और संस्कारों ने हजारों वर्ष से जोड़ा है, उसे तबाह कर दो. ये लोग सनातन के संस्कारों और परंपरा को समाप्त करने का संकल्प लेकर आए हैं. इतना ही नहीं उन्होंने भारत के नायकों और सनातन संस्कृति के बीच संबंध बताया, जिसमें महात्मा गांधी से लेकर स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, अहिल्याबाई होल्कर से जोड़ा. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने जिस सनातन ने उन्हें अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया. घमंडिया गठबंधन के लोग उस सनातन परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं.
पूरी तैयारी के साथ BJP कर रही वार
रामचरितमानस और सनातन के मुद्दे को लेकर बीजेपी ने अपनी पूरी टीम उतार रखी है और INDIA गठबंधन को घेरने के साथ-साथ कांग्रेस को भी कठघरे में खड़े करने में जुट गई है. तमिलनाडु में भले ही सनातन के मुद्दे पर डीएमके को लाभ मिल सकता है, लेकिन तमिलनाडु से बाहर खासकर उत्तर भारत के राज्यों में विपक्षी गठबंधन के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने से कम नहीं है. इसीलिए कांग्रेस से लेकर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे तक की पार्टी बैकफुट पर है.
दरअसल, सनातन धर्म भारतीय सभ्यता के मूल्यों के साथ जीने से जुड़ा एक दार्शनिक विचार है और साथ ही हिंदू धर्म भी है. राहुल गांधी लगातार यह फर्क बताने में जुटे हैं कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व अलग-अलग हैं. सनातन और हिंदू धर्म को राहुल गांधी समावेसी बताते रहे हैं. देश की कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या करीब 110 करोड़ है और इनमें भी 80 फीसदी लोग सनातन धर्म के अनुयायी हैं. ऐसे में सनातन पर सवाल खड़े करने के चलते सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर और पश्चिम भारत में हो गया. खासकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के शीर्ष नेता खुद को भाजपाइयों से ज्यादा कट्टर सनातनी साबित करने की होड़ में लगी हुई है. रामचरितमानस से सनातन जैसे मसलों पर विपक्षी दलों के बीच असमंजस दिखाई दे रहा है.