नई दिल्ली l भारत में अचानक कोरोना की दूसरी लहर आने और तेजी से बढ़ते मामलों से दुनियाभर के वैज्ञानिक परेशान हैं. पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के 3.14 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं. 2100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. इस समय देश में कोरोना के 22.91 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं. जबकि, पूरे देश में कुल कोरोना केस 1.59 करोड़ से ज्यादा है. जनवरी 2020 से शुरू हुए कोरोनावायरस की वजह से अब तक देश में 1.84 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इतनी तेजी से लगातार बढ़ रहे कोरोना मामलों की पहेली उन्हें समझ नहीं आ रही है.
बस एक महीने पहले ही एक डेटा जारी हुआ था जिसमें कहा जा रहा था कि दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में लोग संक्रमित हुए हैं, लेकिन अब कोरोना देश में खत्म होने की कगार पर है. पर यहां तो कहानी पलट गई. अब देश के शोधकर्ता ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिरकार अचानक से कोरोना के मामलों में इतनी तेजी कैसे आई है?
सबसे ज्यादा दिक्कत देश में आए नए कोरोना वैरिएंट के आने से हुई है. साथ ही वैक्सीनेशन की प्रक्रिया काफी धीमी है. यूरोपियन देश जैसे फ्रांस और जर्मनी में भी ऐसी ही भयावह कोरोना लहर चल रही है. ब्राजील और अमेरिका में भी हर दिन करीब 70 हजार कोरोना केस सामने आ रहे हैं. पर भारत में हर दिन का आने वाले कोरोना मामलों की संख्या इन सभी देशों से कहीं ज्यादा है. गुरुवार यानी 22 अप्रैल को ही 3.14 लाख कोरोना के मामले सामने आए हैं. जबकि अमेरिका में ये स्थिति 2 जनवरी 2021 को थी. (फोटोः गेटी)
प्रसिद्ध साइंस वेबसाइट नेचर में प्रकाशित लेख में पीडी हिंदूजा हॉस्पिटल के क्लीनशियन रिसर्चर जरीर उदवादिया ने बताया कि भारत में दूसरी लहर बाथटब में एक छोटी सी लहर पैदा करने जैसा है. जो धीरे-धीरे तेजी से बढ़ रही है. अस्पतालों में हालत बहुत खराब है. बेड्स नहीं है. इलाज की प्रक्रिया धीमी होती जा रही है. आईसीयू की कमी हो रही है.
भारत में हुई अलग-अलग स्टडीज के मुताबिक अगर कोरोनावायरस एंटीबॉडीज की बात करें तो दिसंबर और जनवरी में देश के बड़े प्रमुख शहरों की 50 फीसदी आबादी को लगभग कोरोना संक्रमण हुआ था. जिसकी वजह से इनके शरीर में एंटीबॉडीज बन गईं. ये अध्ययन बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर करीब 2.71 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे. जो कि भारत की आबादी का करीब एक छोटा हिस्सा है.
इन आंकड़ों को देखकर लोगों और एक्सपर्ट ने सोचा कि अब महामारी की स्थिति कमजोर हो रही है. अगर अगली लहर आएगी तो वह बेहद कमजोर होगी. लेकिन हुआ इसका उलटा. पहली लहर में शहरी गरीब लोग चपेट में आए. लेकिन दूसरी लहर में छोटे शहरों, कस्बों और गांवों तक कोरोनावायरस का डंक पहुंच गया है. वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग ने कहा कि एंटीबॉडी डेटा से ये पता नहीं चलता कि वायरस किस तरह से फैला है.