मुरैना : मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में करोड़ों के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने सरकारी जमीन को गलत तरीके से अपात्र लोगों को पट्टे पर देने के एक मामले में जांच के बाद कई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। तीन तहसीलदारों, पंजीयक (रजिस्ट्रार), 2 पटवारी, स्टेनो और 13 अपात्र पट्टाधारकों खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस कार्यवाही से पूरे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। मामला मुरैना जिले के कैलारस तहसील क्षेत्र का है।
ईओडब्ल्यू के एसपी बिट्टू सहगल ने बताया कि सुलतान सिंह नामक एक युवक ने शिकायत की थी कि पटवारी माखन यादव द्वारा उनकी मुरैना जिले में पोस्टिंग के बाद दस्तावेजों में गड़बड़ी की गई। कोड भाषा में लिखे डाक्यूमेंट्स के आधार पर अपात्र लोगों को शासकीय भूमि के पत्ते बांट दिए गए। पटवारी और अन्य अधिकारीयों के परिजनों, उनकी पत्नी को भी पट्टा दिया गया है।
जांच के दौरान ये तथ्य सामने आया कि 2003 में जब पटवारी की ग्राम सेमई में पोस्टिंग थी तब उन्होंने शासकीय प्रतिबंध के बावजूद अपात्र लोगों को सरकारी जमीन के पट्टे दे दिए। इसमें प्राथमिक आकलन के अनुसार उन्होंने 2 करोड़ 43 लाख की जमीन अपात्र लोगों को अवैधानिक ढंग से बांट दी गई। इसी तरह ग्राम गुलपुरा में 11 लाख 40 की भूमि बाँट दी गई।
सहगल ने बताया कि जांच के दौरान एक चौंकाने वाला तथ्य ये भी सामने आया कि पटवारी ने अपनी पत्नी के नाम पर भी गुलपुरा की कीमती भूमि का पट्टा कारित करके कब्जा दिला दिया। इसी तरह ग्राम सुरापुरा में भी उनके द्वारा एक वसीयत में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अपनी पत्नी का नाम भी शामिल करवा कर उसे हथिया लिया। ये शासकीय सर्वे की भूमि थी जो वितरित होनी थी जिसका एक हिस्सा उन्होंने अपनी पत्नी के नाम कम्प्यूटर पर दर्ज करवा लिया।
एसपी ईओडब्ल्यू बिट्टू सहगल के अनुसार इस मामले में तीन अलग -अलग एफआईआर दर्ज की गयी है धारा 420 ,467 ,468 ,120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। मामले की विवेचना की जा रही है।प्राथमिक तौर पर अभी जो जांच हुई है उससे पता चलता है कि सरकारी जमीन का यह बंदरबांट 2005 से लेकर 2017 तक हुआ है और मजेदार बात ये कि इस दौरान एक तहसीलदार और नायब तहसीलदार बदल गए लेकिन किसी ने भी जांच करने की जहमत नहीं उठाई बल्कि उसी में लिप्त हो गए।