Thursday, May 15, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home राज्य

MP में नहीं आ सके साथ, 2024 में सपा-कांग्रेस कैसे बनेगी बात?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
16/10/23
in राज्य, समाचार
MP में नहीं आ सके साथ, 2024 में सपा-कांग्रेस कैसे बनेगी बात?
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना खत्म हो चुकी हैं। दरअसल, रविवार सुबह कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। इसमें से 4 ऐसी सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जिन पर सपा ने पहले ही अपने उम्मीदवार का ऐलान कर रखा था। कांग्रेस की लिस्ट के बाद रविवार शाम में ही सपा ने 9 प्रत्याशियों की एक और लिस्ट जारी कर गठबंधन के कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए INDIA गठबंधन बनने के बावजूद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सपा ने स्पष्ट किया था कि MP में तीनों अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। चूंकि सपा सूबे में सभी सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी इस वजह से कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस के साथ सियासी जुगत बैठ सकती है।

कांग्रेस और सपा के बीच जिन चार सीटों को लेकर बात बिगड़ी है वो चितरंगी, मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट  हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट जीती थी। हालांकि सपा आलाकमान इन सीटों से ज्यादा कांग्रेस द्वारा छतरपुर जिले के बिजावर से उम्मीदवार उतारने से सबसे ज्यादा नाखुश है। दरअसल 2018 में सपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी और ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस इस सीट से किसी को नहीं उतारेगी लेकिन पहली ही लिस्ट में कांग्रेस ने बिजावर से चरण सिंह यादव को मैदान में टिकट देकर अटकलों को दूर कर दिया। कांग्रेस की पहली लिस्ट के रिएक्शन के तौर पर सपा ने लिस्ट में बिजावर से डॉ मनोज यादव को टिकट दे दिया।

मध्य प्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। कांग्रेस नेतृत्व के साथ हमारी कुछ बातचीत हुई थी लेकिन रविवार को सब कुछ विफल हो गया। हम अपने दम पर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अगले साल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।”

ऐसे कैसे चलेगा गठबंधन

अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक सीनियर नेता ने आरोप लगाया, ”कांग्रेस को भाजपा को हराना चाहती ही नहीं है।” पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “हमने कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत की लेकिन वे भाजपा को हराने के लिए गठबंधन करने में दिलचस्पी नहीं रखते थे। ऐसा लगता है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य भाजपा को नहीं बल्कि सपा को हराना है। कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए होगा लेकिन मध्य प्रदेश में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत हुई थी और हम 10 सीटें चाहते थे। वे कम सीटों की पेशकश कर रहे थे और अचानक उन्होंने हमें बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। गठबंधन इस तरह काम नहीं करता।”

कितने सीटों पर लड़ेगी सपा?

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी संभवत: मध्य प्रदेश में कुल 30-35 उम्मीदवार उतारेगी। जिस चीज ने एसपी नेतृत्व को “आहत” किया है, वह बिजावर है, जहां चरण सिंह यादव को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले ने उसे और भी अधिक परेशान कर दिया है। चरण सिंह बुन्देलखण्ड में सपा के वरिष्ठ नेता दीप नारायण यादव के चचेरे भाई हैं।

गठबंधन की फांस बनी बिजावर सीट

पार्टी के आलाकमान के एक नेता ने कहा “यह दुखद है कि उन्होंने उस सीट पर एक उम्मीदवार की घोषणा की है जिसे हमने 2018 में जीता था और हम चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने हमसे इस बारे में राय नहीं ली न ही हमसे बात की और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया।”

गौरतलब हो बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है और 2018 में सपा के राजेश कुमार शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। जिन्हें “बबलू भैया” के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन 2020 में कमल नाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के पतन के बाद भाजपा में चले गए। सपा का दावा है कि यह ऐसी सीट है जहां वह अच्छा प्रदर्शन करेगी।

वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा है कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है। कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि सपा अपनी क्षमता से अधिक सीटों के लिए उतावली है। उन्होंने कहा, ”मध्य प्रदेश में उनका कोई आधार नहीं है। वे इतनी अधिक सीटों की उम्मीद कैसे कर रहे हैं? और जिस सीट को लेकर वो परेशान हैं… उनके विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। उम्मीद है कि कुछ काम किया जा सकता है, लेकिन एसपी को ऐसे राज्य में जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है, जहां उनका कोई आधार नहीं है।”

सपा की दूसरी लिस्ट में किसे-कहां से मौका?

सपा ने रविवार को जिन 9 क्षेत्रों में उम्मीदवारों की घोषणा की है। सिरमौर से पूर्व भाजपा विधायक लक्ष्मण तिवारी को मौका दिया है। वहीं निवाड़ी में सपा ने पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव को मैदान में उतारा है। राजनगर से बृजगोपाल पटेल उर्फ बबलू पटेल, भांडेर (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) से अहिरवार समुदाय से सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डी आर राहुल सपा के उम्मीदवार हैं। जबकि सीधी (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) से विश्वनाथ सिंह मरकाम को सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है।

गौरतलब हो, पिछले महीने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सिरमौर में एक सार्वजनिक बैठक के साथ अपनी पार्टी के मध्य प्रदेश अभियान की शुरुआत की थी। 1 अक्टूबर को लखनऊ में एक कार्यक्रम में सपा अध्यक्ष ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और कांग्रेस भाजपा को हराने के लिए राज्य में एक साथ चुनाव लड़ें।

छत्तीसगढ़ में, जहां अगले महीने चुनाव होने हैं, एसपी राज्य की 90 सीटों में से 40 पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इन सीटों पर चुनाव लड़ने का उद्देश्य लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में कड़ी सौदेबाजी के लिए मजबूर करना था, जहां वह मजबूत है।

।.N.D.I.A गठबंधन का प्लान विफल ?

14 सितंबर को इंडिया ब्लॉक की 14-सदस्यीय समन्वय समिति ने नई दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के घर पर बैठक की और सीट-बंटवारे की बातचीत कैसे शुरू की जाए, इस पर चर्चा हुई थी। उस समय भी, वे जानते थे कि सीट साझा करना मुश्किल होने वाला है। खासकर पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जहां गठबंधन के सदस्य कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। सर्वसम्मति यह थी कि कोई सर्वव्यापी या एक समान फार्मूला नहीं होगा और अलग-अलग पार्टियां अपने अंकगणित को सही करने के लिए अपनी केमिस्ट्री पर भरोसा कर रही थीं। ऐसे में MP, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन के तीन सबसे प्रमुख घटक विधानसभा चुनाव में आमने सामने हैं।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.