नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी कही जानी वाली काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाने में पाए गए शिलाखंड की कार्बन डेटिंग नहीं की जाएगी। वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया। इसे हिंदू पक्ष को झटके के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अब हिंदू पक्ष के पास अब कौन-कौन से विकल्प बचे हैं? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या हिंदू पक्ष कार्बन डेटिंग की मांग के विकल्पों का उपयोग करेगा भी या नहीं?
क्यों खारिज हुई हिंदू पक्ष की याचिका, जानिए
वाराणसी जिला अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि कार्बन डेटिंग की अनुमति दी गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंचेगा और ऐसा होने पर हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। ध्यान रहे कि वाराणसी जिला अदालत ने इसी वर्ष 12 सितंबर को फैसला दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी का विवाद पर अदालत में सुनवाई हो सकती है। मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर पूजास्थल कानून 1991 (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991) के अधीन नहीं आता है, इसलिए यह मामला अदालत की सुनवाई के लिए पोषणीय है।
अब हाई कोर्ट का बचा रास्ता
वाराणसी जिला अदालत ने हाई कोर्ट के इसी फैसले में की गई टिप्पणियों का हवाला देकर कहा है कि कार्बन डेटिंग से हाई कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन होगा। ऐसे में अब हिंदू पक्ष के पास फिर से ऊपर अदालतों यानी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का रास्ता बचा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंद्रेश कुमार ने भी कहा है कि आगे रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘दुनिया में कभी रास्ता बंद नहीं होता है। राम मंदिर के रास्ते कई बार बंद हुए और फिर खुलते चले गए। इसका भी रास्ता आगे निकलेगा।’
हिंदू पक्ष में ही हो गए थे दो धड़े
दरअसल, कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर खुद हिंदू पक्ष ही दो धड़ों में बंट गया था। मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की दावेदारी करने वाली महिलाओं में एक ने यह कहकर कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध किया था कि वैज्ञानिक परीक्षण लिए ‘शिवलिंग’ से कुछ अंश लिया जाएगा जिससे यह खंडित हो जाएगा। उनकी दलील है कि शिवलिंग को खंडित नहीं किया जा सकता है, इसलिए कार्बन डेटिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उधर, मुस्लिम पक्ष ने भी कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध किया था। विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में पाए गए शिलाखंड कार्बन डेटिंग नहीं की जाएगी।