नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के 31 मंत्रियों में से 39 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और मध्य प्रदेश इलेक्शन वॉच की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट (Association for Democratic Reforms, ADR) के मुताबिक, एक मंत्री को छोड़कर एमपी के सभी मंत्री करोड़पति हैं। रिपोर्ट में मुख्यमंत्री मोहन यादव समेत प्रत्येक मंत्री की ओर से दाखिल हलफनामों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि एमपी के 10 फीसदी या 3 मंत्रियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोप हैं। इनमें हत्या के प्रयास का आरोप भी शामिल है।
सबसे धनी मंत्री चेतन्य कश्यप हैं जो रतलाम शहर निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए हैं। उनकी संपत्ति 296 करोड़ रुपये से अधिक है। कश्यप पर सबसे अधिक घोषित देनदारियां भी हैं, जो 20.17 करोड़ रुपये हैं। औसतन मंत्रियों के पास 18.54 करोड़ रुपये हैं। एमपी सरकार में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं को भी मंत्रालय दिए गए हैं।
सूबे के 26 फीसदी यानी 8 मंत्रियों की योग्यता 8वीं पास से 12वीं पास के बीच है, जबकि बाकी मंत्री स्नातक या उससे ज्यादा एजुकेटेड हैं। 10 मंत्री स्नातकोत्तर हैं। वहीं मुख्यमंत्री के पास डॉक्टरेट की डिग्री है। 31 मंत्रियों में केवल 5 महिलाएं हैं, जबकि भाजपा के चुनावी अभियान में महिला सशक्तिकरण और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना पर जोर दिया गया था। 26 यानी 84 फीसदी मंत्री 51 से 70 साल की उम्र के हैं, जबकि बाकी औसतन 31 साल के युवा हैं।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने के बाद 13 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री मोहन सिंह यादव ने शपथ ली थी। मुख्यमंत्री और उनके 12 मंत्री ओबीसी से आते हैं। इस कैबिनेट विस्तार में भाजपा ने साल 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर अपने चुनावी समीकरणों को भी साधने की कोशिश भी की है। सूबे में भाजपा ने अपने ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया है, जहां विपक्ष संभवतः जातिय जनगणना के वादे के साथ चुनाव प्रचार में उतरेगा।