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महाकाल प्रोजेक्ट : करोड़ों खर्च, फिर भी आंधी नहीं झेल पाईं मूर्तियां, जिम्मेदार कौन?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
02/06/23
in राज्य, समाचार
महाकाल प्रोजेक्ट : करोड़ों खर्च, फिर भी आंधी नहीं झेल पाईं मूर्तियां, जिम्मेदार कौन?
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उज्जैन : उज्जैन में रविवार आंधी और तूफान के बाद महाकाल लोक की 6 से ज्यादा प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो गई. इस घटना के बाद कुछ समय के लिए आम श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद करवा दिया गया था. इस बीच बीजेपी और कांग्रेस के बीच शुरू हुई तकरार अभी तक खत्म नहीं हुई है. कांग्रेस के विधायक महेश परमार ने शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में लग गई है. महेश परमार ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ में महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक दल बनाया है. इस दल में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, उज्जैन जिले के कांग्रेस के सभी विधायक, शोभा ओझा, के के मिश्रा सहित अन्य नेता शामिल होंगे. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सिंहस्थ क्षेत्र की भूमि को आवासी करने का आरोप भी लगाया है.

खबर के मुताबिक घटना ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे का मुख्य प्रवेश द्वार ‘नंदी द्वार’ पर हुई. शिवराज सरकार के वित्त और उज्जैन के प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि 2 हफ्ते के अदंर फिर से मूर्तियों को तैयार कर दिया जाएगा. जगदीश देवड़ा ने कहा कि सभी मूर्तियों पर सीधे रंग लगा दिया गया था, इसकी वजह से भी मजबूती पर असर पड़ा. इन प्रतिमाओं के अंदर लोहे का जाल भी नहीं लगाया गया था. अब नए सिरे से प्रतिमाओं पर काम शुरू किया जा चुका है.

महाकालेश्वर मंदिर समिति ने भी इस घटना को भ्रष्टाचार से जोड़ दिया है. महामंडलेश्वर मंदाकिनी देवी ने कहा कि हरिद्वार में गंगा किनारे भगवान शिव की प्रतिमा पर कई बार आंधी तूफान आने के बावजूद कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन महाकाल लोक की प्रतिमा थोड़ी सी आंधी में क्षतिग्रस्त हो गई. यह भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है.इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संज्ञान लेना चाहिए.

900 मीटर लंबा यह गलियारा भारत के सबसे बड़े गलियारों में से एक है. इस गलियारे को कुल दो चरणों में बनाया जा रहा है. पहले चरण में कुल 350 करोड़ रु. खर्च हुए थे. दूसरा चरण 2024 में पूरा होगा. यह कॉरिडोर काशी से भी चार गुना ज्यादा बड़ा है. इस प्रोजेक्ट को 2019 में मंजूरी मिली थी.

कॉरिडोर में कई चीजें बनाई गई थी. शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, धर्मशाला, पार्किंग सर्विस कॉरिडोर को खास बनाती हैं. महाकाल मंदिर में बने इस कॉरिडोर का मकसद उज्जैन की इकोनॉमी को भी बढ़ाना है.

पहले भी इसे लेकर हो चुकी है सियासत गर्म

2022 में जब मंदिर का निर्माण हो रहा था तब शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि उनके पहले कार्यकाल के दौरान परियोजना के पहले चरण को शुरू करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थीं, लेकिन सरकार बदलने के कारण काम रुक गया था. “हमने 2020 में उज्जैन का दौरा किया और काम की विस्तार से समीक्षा की.

मुख्यमंत्री के अनुसार, 2017 में 95 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना की शुरुआत होने वाली थी , लेकिन जब 2018 में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, तो कोई काम नहीं किया गया. लेकिन मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया था कि उज्जैन में मंदिर के विकास और विस्तार की योजना 2019 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली पार्टी सरकार के दौरान बनाई गई थी.

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि कमलनाथ को झूठ बोलने की आदत है. मिश्रा ने कहा था कि उन्हें कम से कम अपने झूठ में भगवान भोलेनाथ का नाम लेने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा था कि महाकाल मंदिर के विकास का प्रस्ताव 2017 में तैयार किया गया था और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) एक साल की अवधि में तैयार की गई थी, उस दौरान शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे.

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