नई दिल्ली: NPCI यानी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने एक नोटिस जारी किया है जिसमें इस बात की जानकारी दी गई है कि बैंकों को सर्विस ऑफर करने वाले C-Edge Technologies के सिस्टम पर Ransomware attack हुआ है. रैनसमवेयर अटैक की वजह से IPMS और UPI जैसे पेमेंट सिस्टम अस्थायी रूप से उपलब्ध नहीं होंगे.
एनपीसीआई ने कहा कि पेमेंट इकोसिस्टम पर बड़े प्रभाव को रोकने के लिए C-Edge Technologies को NPCI द्वारा संचालित खुदरा पेमेंट सिस्टम तक पहुंचने से अस्थायी रूप से अलग कर दिया है. रैनसमवेयर अटैक की वजह से लगभग 300 छोटे भारतीय बैंकों की पेमेंट सर्विस अस्थायी रूप से रुक गई हैं.
इन बैंकों पर पड़ा असर
बैंकिंग क्षेत्र के अधिकारियों के मुताबिक, इस रैनसमवेयर हमले का असर सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर पड़ा है, जो SBI और TCS संयुक्त उद्यम C-Edge Technologies पर निर्भर हैं, अन्य बैंकिंग सेवाएं सामान्य रूप से जारी हैं. C-Edge Technologies देशभर के छोटे बैंकों को बैंकिंग टेक्नोलॉजी सिस्टम्स उपलब्ध कराती है, फिलहाल रैनसमवेयर अटैक पर को भी जवाब देने से इनकार कर दिया है.
अटैक से हो सकते हैं ये खतरे
- साइबर अटैक से जो सबसे बड़ा खतरा है वो है वित्तीय नुकसान, फिरौती की मांग की जा सकती है.
- अगर कंपनी के पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं, तो वह सारा डेटा खो सकते हैं, यानी डेटा हानि एक बड़ा खतरा है.
- रैनसमवेयर अटैक से जरूरी फाइलें एन्क्रिप्ट हो सकती हैं और उन्हें बेकार कर सकता है इससे ग्राहकों का डेटा या गोपनीय जानकारी का नुकसान हो सकता है.
- रैनसमवेयर अटैक से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है, अगर ग्राहकों को पता चलता है कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी लीक हुई है तो ऐसे में वह अपना व्यवसाय कहीं और ले जाना चाहेंगे.
- रैंसमवेयर एक मैलेशियस सॉफ्टवेयर है जो मजबूत एन्क्रिप्शन के जरिए जरूरी फाइलों को लॉक कर देता है. इन फाइल्स को अनलॉक करने की एवज में फिर मोटी रकम की मांग की जाती है.