देहरादून: नेपाल में शुक्रवार रात आया भूकंप उत्तराखंड की ओर बढ़ रहे खतरे का संकेत हो सकता है। पिछले कई भूकंपों का केंद्र नेपाल रहा पर यह लगातार पश्चिम की ओर खिसक रहा है। अब तक के अध्ययन के मुताबिक आने वाले कुछ वक्त में उत्तराखंड में भूकंप आना तय है। इसकी तीव्रता भी अधिक हो सकती है। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने इस पर चिंता जताते हुए इस पर गहन अध्ययन को जरूरी बताया है।
भूकंप प्रभावित क्षेत्र कच्छ, अंडमान और उत्तराखंड में लंबे समय से अध्ययन कर रहे प्रो. मलिक ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि अक्तूबर 2023 में भूकंप के झटके कानपुर में अधिक महसूस नहीं हुए थे। उसका केंद्र हिमालयन क्षेत्र था। इस बार तराई का क्षेत्र केंद्र बना, जो चिंता का विषय है। उत्तराखंड में भूकंप आना तय है, लेकिन इसकी तीव्रता क्या होगी और कब आएगा, यह कहना मुश्किल है। साथ ही, भूकंप का केंद्र भी बदल सकता है। गंगा के किनारे और तराई वाले क्षेत्रों में खतरा अधिक होगा। शुक्रवार देर रात आए झटकों के बाद एक बार फिर अध्ययन और तैयारी करना जरूरी है।
जोन-5 में होने से सबसे अधिक खतरा
प्रो. मलिक ने बताया कि भूकंप को देखते हुए पांच जोन बनाए गए हैं। जोन-5 सबसे अधिक खतरनाक है। जोन-5 में अंडमान, उत्तराखंड समेत हिमालयी क्षेत्र हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं भयावह भूकंप
प्रो. मलिक ने बताया कि उत्तराखंड में खतरा बढ़ा है। यहां पहले भी दो बार भयावह भूकंप तबाही मचा चुका है। वर्ष 1505 और 1803 में तीव्र भूकंप के साक्ष्य मिले हैं। 1505 में आए भूकंप का उल्लेख इतिहास में है। 1803 के भूकंप का असर दिल्ली, एनसीआर से मथुरा तक हुआ था। इन भूकंपों में काफी नुकसान हुआ था।