नई दिल्ली। साइबर फ्रॉड केसेस पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गए हैं। सब कुछ धीरे-धीरे डिजिटल हो रहा है और इंटरनेट अब चोरो का नया ठिकाना बन गया है। चोर अब सीधे लोगों के बैंक अकांट्स से पैसे चुराने लगे हैं। चोर लोगों को ट्रिक कर के उनसे उनके ओटीपी लेकर या गलत लिंक्स भेजकर स्मार्टफोन से डाटा चोरी कर लेते हैं। हालांकि, हाल ही में हुए एक केस में गुजरात के एक शख्स ने यह दावा किया है की उसने बिना ओटीपी शेयर किए और बिना किसी लिंक पर क्लिक किए अपना पैसा खोया है।
दुष्यंत पटेल, जो एक डेवलपर है, ने एफआईआर दर्ज कराई है जिसके अनुसार साइबर अपराधियों ने उसके बैंक अकाउंट से Rs 37 लाख चुरा लिए हैं। यह घटना 30 मिनट में ही हो गई। हालांकि, उसने किसी के साथ कोई निजी जानकारी शेयर नहीं की। रिपोर्ट्स के अनुसार, पटेल को 31 दिसंबर को एक के बाद एक पैसे काटने के मैसेज आने लगे। तब वो ऑफिस में काम कर रहे थे। 3:30PM बजे उसे अपने बैंक से मैसेज आया की 10 लाख रूपये अकाउंट से निकाले गए हैं। थोड़ी देर में, करीब 3:20PM बजे उसे दूसरा मैसेज आया की एक बार और 10 लाख रूपए निकाले गए हैं।
एक के बाद एक ट्रांजैक्शन नोटिफिकेशन्स आने के बाद पटेल फटाफट बैंक गए और वहां के अधिकारीयों को इसके बारे में बताया और तुरंत बैंक अकाउंट बंद करने को कहा। हालांकि, पटेल को 3:49 पर दोबारा 17 लाख रुपये काटने का मैसेज आया जब वो बैंक में शिकायत ही कर रहे थे। उन्हें यह भी बताया गया की वो अपने अकाउंट को एक्सेस नहीं कर पा रहे थे और उनका यूजरनेम और पासवर्ड इनवैलिड है।
बैंक अधिकारीयों ने उनका अकाउंट फ्रीज़ कर दिया और पटेल को बताया की उनके साथ फ्रॉड हुआ है। केस फाइल कर दिया गया है और इस केस को इन्वेस्टीगेट किया जा रहा है। पटेल का कहना है की उन्होंने किसी से ओटीपी या कोई भी जानकारी किसी से शेयर नहीं की है। पुलिस का कहना है की हो सकता है की हैकर्स ने उनका स्मार्टफोन हैक कर के बैंक अकाउंट की जानकारी चुरा ली होगी। पुलिस तो फिलहाल पता लगा रही है की ऐसे कैसे हुआ, चलिए जानते हैं की क्या हो सकता है, किस तरह पटेल का डाटा फोन से चुराया गया होगा?
हैकर्स कैसे हैक कर लेते हैं स्मार्टफोन?
सोशल मीडिया लिंक्स: सोशल मीडिया पर आने वाले गेम्स जैसे की- ‘Click to know your photo age’, ‘here is a special discount’ या ऐसे ही लिंक्स मालवेयर के साथ आ सकते हैं। जब भी लोग इन लिंक्स पर क्लिक करते हैं तो हैकर्स को फोन का एक्सेस मिल जाता है।
ऐप्स के जरिए: ऑफिशियल स्टोर्स- गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर के अलावा कहीं से कोई एप डाउनलोड करने पर हो सकता है की उस एप के साथ आपके फोन में मालवेयर भी आ जाए।
फिशिंग: हैकर्स लोगो के फोन्स पर मालवेयर वाले लिंक्स भेजते हैं। जैसे ही विक्टिम वो लिंक खोलता है उसके फोन का एक्सेस हैकर्स को मिल जाता है।
जूस जैकिंग: इस तरीके से साइबर अपराधीयूएसबी केबल कनेक्शन से फोन्स में मालवेयर डाल देते हैं। इसलिए पब्लिक चार्जिंग पोर्ट्स के इस्तेमाल से बचना चाहिए।