नई दिल्ली : नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में की गई खोज में पाया है कि चंदन स्पाइक डिसीज (एसएसडी) ने दक्षिणी भारत के जंगलों से चंदन की आबादी को लगभग मिटा दिया है. अध्ययन से यह भी पता चला कि एसएसडी बीजों के माध्यम से फैल रहा है और इसलिए चंदन की पौध के व्यावसायिक वितरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है.
12 अक्टूबर को अमित यादव और एनसीसीएस में उनकी टीम जिनका कोलेबरेशन आर सुंदरराज, इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईडब्ल्यूएसटी), बेंगलुरु के साथ है उन्होंने सम्मिलित रूप से इस शोध को इंटरनेशनल रिसर्च जनरल’बायोलॉजी’ में प्रकाशित किया. यादव ने कहा कि एसएसडी प्रभावित पेड़ों से 200 से अधिक बीज और व्यावसायिक रूप से खरीदे गए बीजों का उपयोग करके उत्पन्न 500 से अधिक अंकुरों को एसएसडी फाइटोप्लाज्मा की उपस्थिति के लिए कीट मुक्त वातावरण में संचरण को समझने के लिए जांचा गया. यह एसएसडी फाइटोप्लास्मास के कारण होता है. एक रोगजनक बैक्टीरिया जो लीफहॉपर्स और प्लैन्थोपर्स के जरिए फैल रहा है.
‘ये अंकुर मुख्य रूप से दक्षिणी केरल में स्थित मरयूर सैंडलवुड रिजर्व (MSR) में उगने वाले चंदन के पेड़ों से प्राप्त बीजों द्वारा उगाए गए हैं. एमएसआर अन्य चंदन उगाने वाले क्षेत्रों की तुलना में एसएसडी संक्रमण से मुक्त चंदन के पेड़ों की एक बड़ी आबादी के लिए जाना जाता है. इसलिए, यह बीज बाजार में भरोसेमंद है. यह अध्ययन एमएसआर से बीजों का उपयोग करके उगाए गए फाइटोप्लाज्मा-पॉजिटिव पौधों को खोजने के बाद शुरू किया गया था. जो व्यावसायिक नर्सरी से रेंडम तरीके से इकट्ठा किए गए थे. उनकी मुर्झाने की दर के अज्ञात कारण की रिपोर्ट थी.’
अमित ने कहा, ‘वास्तविक समय में नेस्टेड पीसीआर-आधारित स्क्रीनिंग ने क्रमशः एक महीने और चार महीने पुराने अंकुरों में 38.66% और 23.23% फाइटोप्लाज्मा पॉजिटिविटी की खतरनाक दर का खुलासा किया. आम तौर पर ऐसे बीजों को जिनसे पौधा नहीं बनता है, उन्हें अपज मान लिया जाता है. स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके चंदन के टिश्यूज में फाइटोप्लाज्मा सेल्स की कल्पना करके इन परिणामों को और अधिक मान्य किया गया था.’
उन्होंने कहा कि चंदन की पौध के व्यावसायिक वितरण के लिए बीजों और अंकुरों में फाइटोप्लाज्मा की उपस्थिति एक चिंता का विषय है. उन्होंने आगे कहा, ‘इससे नए क्षेत्रों में बीमारी फैलने का डर भी है जहां स्वस्थ चंदन की आबादी को फिर से स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं. इसके अतिरिक्त, इस अध्ययन में विकसित एक नई परख फाइटोप्लास्मा का पता लगाने के लिए एक समय में कई पौधों के नमूनों में फाइटोप्लाज्मा की तेजी से जांच के लिए मूल्यवान साबित हुई.’