नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान जोरों पर है। भाजपा, कांग्रेस, जेडीएस की ओर से एक पर एक बयान सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बागलकोट में आयोजित रैली में कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के पास चुनाव लड़ने के लिए नेता नहीं है। वो उधार के नेताओं से चुनावी मैदान में है। अमित शाह ने भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सवादी सहित अन्य नेताओं की हार का भी बड़ा दावा किया। अमित शाह के इस बयान के बीच यह जानना जरूरी है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में किस पार्टी में कितने दलबदलू हैं और ये दलबदलू भाजपा, कांग्रेस, जेडीएस जैसे दलों के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं? आइए जानते हैं, चुनाव के बीच कर्नाटक की सियासत में दलबदल का दिलचस्प किस्सा-
कर्नाटक चुनाव 2023: तारीख, रिजल्ट और दलबदल की स्थिति
‘दक्षिण का द्वार’ कहे जाने वाले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के ऐलान 29 मई 2023 को किया गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनावी तारीख का ऐलान करते हुए कहा कि 224 विधानसभा सीट वाले कर्नाटक में एक चरण में 10 मई को चुनाव कराया जाएगा।
वोटों की गिनती 13 मई को होगी। राज्य में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही सियासी उठापटक होने शुरू हो गए थे। कई नेताओं ने टिकट काटे जाने की आशंका के बीच पार्टी बदली। कई इधर से उधर हुए। कई के टिकट कटे, कई किनारा किए गए।
कर्नाटक चुनावः भाजपा ने 52 विधायकों के टिकट काटे
कर्नाटक में सत्ता विरोधी माहौल को समाप्त करने के भाजपा ने प्रत्याशियों के चयन में सबसे ज्यादा मशक्कत की। भाजपा ने सबसे अंत में प्रत्याशियों के ऐलान किए। पार्टी ने राज्य के 52 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए। भाजपा ने पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार व पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे लक्ष्मण सावदी का भी टिकट काट दिया।
भाजपा में भारी उठापटक, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी
एंटी इनकंबेंसी के बीच विधायकों का टिकट काटे जाने को लेकर भाजपा की ओर से पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार, पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी, के. अंगारा, आर शंकर, एमपी कुमार स्वामी सहित कई एमएलसी ने पार्टी छोड़ दी। इनमें से कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। कुछ जेडीएस में चले गए। शेट्टार को कांग्रेस ने हुबली सेंट्रल विधानसभा से टिकट दिया है। शेट्टार के अलावा बीजेपी से आए लक्ष्मण सवादी को भी कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
दलबदलूओं में जगदीश शेट्टार सबसे बड़ा नाम
कर्नाटक चुनाव के बीच दलबदल करने वाले नेताओं में जगदीश शेट्टार सबसे बड़ा नाम है। जगदीश शेट्टार 6 बार विधायक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री सहित कई बार मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। इतने लंबे राजनीतिक जीवन में उन पर कभी किसी तरह के आरोप नहीं लगे हैं। इसलिए उनकी छवि साफ मानी जाती है। जगदीश शेट्टार की गिनती लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता के रूप में होती है। पहले नंबर पर बीएस येदियुरप्पा हैं।
कर्नाटक चुनावः किस पार्टी में कितने दलबदलू?
- कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटें है।
- सत्तारूढ़ भाजपा, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुख्य मुकाबला है।
- इन तीनों दलों में दलबदलूओं की बात करें तो सबसे ज्यादा जेडीएस ने दलबदलूओं पर भरोसा जताया है।
- जेडीएस ने सबसे अधिक 28 दलबदलूओं को टिकट दिया है। इनमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टी से आए नेता शामिल हैं।
- भाजपा ने 17 तो कांग्रेस ने 6 दलबदलूओं को दिया टिकट
- जेडीएस के दलबदलूओं पर सबसे ज्यादा भरोसा बीजेपी ने जताया है।
- भाजपा ने दूसरी पार्टी से आए 17 नेताओं को टिकट दिया है।
- तीसरे नंबर पर कांग्रेस हैं। कांग्रेस ने दूसरी पार्टी से आए 6 नेताओं को टिकट दिया है। जिसमें जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सवादी सहित अन्य हैं।
- चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा था कि बीजेपी से आने के लिए 150 लोग तैयार हैं, लेकिन हमारे पास जगह ही नहीं है, इसलिए सबको नहीं लिया जा रहा है।
दलबदलू मजबूरी या जीत की गारंटी?
लगभग हर चुनाव में कई नेता इधर से उधर जाते हैं। कर्नाटक इससे अछूता नहीं है। राजनीति के जानकारों की मानें तो दलबदलू कई बार पार्टी की मजबूरी तो कई बार जीत की गारंटी भी बनते हैं। चुनाव से पहले दलबदल कर आए नेता बयानों के जरिए माहौल बनाने में माहिर होते है। इन नेताओं को मीडिया भी खूब तवज्जो देती है।
सामने वाली पार्टी की रणनीति की जानकारी
दलबदलु नेताओं के पास सामने वाली पार्टी की रणनीति की जानकारी रहती है। जिसका फायदा संबंधित पार्टियों को मिलता है। साथ ही कार्यकर्ताओं और जातीय समीकरण के सहारे दलबदलू चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे में कर्नाटक में दलबदलू नेता सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो चुके हैं।
दलबदल में भाजपा माहिर, कई राज्यों में पाई सत्ता
कई बार किसी संबंधित क्षेत्र में मजबूत उम्मीदवारों की कमी होने पर राजनीतिक दल दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़कर अपने पाले में कर लेती है। देश के चुनावी इतिहास को देंखे तो इस मामले में भाजपा बड़ी माहिर है। बीजेपी ने कांग्रेस सहित अन्य दलों के कई बड़े नेताओं को तोड़कर कई राज्यों में सत्ता हासिल की है। ऐसे में राजनीति में पाप होने के बाद भी दलबदल से कोई भी पार्टी परहेज नहीं करती।