देहरादून l देहरादून में दीपावली के बाद से ही वायु प्रदूषण चिंताजनक बना हुआ है। दून में वायु प्रदूषण मानक से अधिक है। कहा जा रहा है कि दून में भी दिल्ली जैसे हालात बने हुए हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद बढ़ा हुआ है जो कि खतरे का संकेत है। वहीं वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन सीरियस हो गया है और जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं। जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने प्रदूषण के गंभीर मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही करते हुए अधिकारियों के साथ बैठक की और बैठक में प्रदूषण को कम करने के लिए वार्ता की गई।
जिलाधिकारी ने बैठक में यह स्पष्ट दिशा-निर्देश भी दिए कि वायु प्रदूषण (पीएम-10 व 2.5) के स्तर को कम करने के लिए आखिर दून में क्या-क्या प्रयास करने होंगे। बता दें कि जिलाधिकारी ने कैंप कार्यालय में बीते शनिवार को अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन किया जिसमें जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने यह आदेश दिए कि देहरादून में 15 साल की अवधि पूरी कर चुके डीजल वाहनों को बाहर करने के लिए रणनीति बनाई जाए।
जानिए क्यों
दरअसल ऐसे वाहनों से वातावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है और यही वजह है कि पल्यूशन को कंट्रोल में रखने के लिए जिलाधिकारी ने 15 साल की अवधि को पूरा करने वाले डीजल वाहनों को बाहर करने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के हाट-स्पाट की पहचान कर स्मार्ट सिटी व अन्य तकनीकी एजेंसियों की मदद से रोकथाम के प्रयास किए जाएं। इसी के साथ उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभाग उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ समन्वय बनाकर अपना माइक्रो प्लान साझा करें।
DM के आदेश
बैठक में जिलाधिकारी ने नगर निगम को निर्देश दिए कि कूड़ा उठान की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाए। प्लास्टिक के प्रयोग और कूड़ा जलाने पर 5000 रुपये जुर्माना का प्रविधान है। बैठक में जिलाधिकारी ने लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग यूनिट आदि निर्माण एजेंसी निर्माण के दौरान उडऩे वाली धूल, रेत आदि पर अंकुश लगाने के निर्देश भी दे दिए हैं। इसी के साथ उन्होंने एयर क्वालिटी में सुधार करने के लिए शहर में पेड़ व झाड़ी प्रजाति के पादपों की बेहतर लापिंग के लिए एमडीडीए वन विभाग आदि को निर्देश दिए गए। बैठक में उन्होंने ग्रीन एरिया व खाली जगह हरियाली को बढ़ावा दिए जाने पर भी जोर दिया।
खबर इनपुट एजेंसी से