भारत (India) के लिए झटके वाली खबर है. रूस (Russia) से भारतीय तेल कंपनियां (Indian oil companies) जो लेनदेन कर रही हैं, वह अधिकतर डॉलर में ही किया जा रहा है. दोनों देशों के बीच रुपये और रूबल के बीच लेनदेन की बात चल रही थी, लेकिन अभी तक इसकी ठीक तरह से शुरुआत नहीं की गई है. दूसरी ओर, रूस ने डॉलर के मुकाबले यूरो और दिरहम का इस्तेमाल भी बढ़ाना शुरू कर दिया है.
रूस (Russia) की यूक्रेन से जारी जंग के बावजूद भी भारत (India) महीनों से सस्ते दाम पर मिल रहे रूसी तेल का लगातार आयात कर रहा है. खास बात है कि अभी तक भारतीय तेल कंपनियां डॉलर में ही पैसा दे रही हैं. दरअसल, पिछले कुछ समय से भारत और रूस के बीच अपनी मुद्राओं में कारोबार करने की बात चल रही थी, लेकिन महीनों बाद भी पेमेंट डॉलर में ही की जा रही है. हालांकि, रूस की ओर से अब यूरो और दिरहम करेंसी में भी कारोबार को बढ़ाया जा रहा है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस अभी तक भारतीय करेंसी रुपये में भारत के साथ व्यापार के लिए तैयार नहीं है. इसका कारण दोनों देशों के व्यापार में बड़े पैमाने पर बढ़ रहा असंतुलन है. भारतीय आयातकों के अनुसार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इसी साल जुलाई में रुपये-रूबल में व्यापार करने की व्यवस्था बनाई थी, लेकिन उसके जरिए अभी तक किसी तरह की शुरुआत नहीं की गई है.
ना कोई सप्लायर, ना बैंक ही रुपयों में कारोबार करने के इच्छुक
एक एक्सपर्ट ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि ना ही बैंक और ना ही कोई सप्लायर रुपये में पेमेंट करने के इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं. चूंकि हमारा रूस से निर्यात कम है और आयात ज्यादा है. ऐसे में रुपये में भुगतान शुरू हुआ तो सप्लायरों के पास रुपये में ज्यादा करेंसी होगी और उन्हें नहीं समझ आएगा कि वे इनका क्या करें. रूपये-रूबल में व्यापार के लिए जरूरी है कि भारत भी रूस को ज्यादा सामान बेचे. तभी रूस रुपये का इस्तेमाल कर पाएगा.
रूस से आयात बढ़ने की वजह से दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में भारत के नेता और देनदारों को भी डर है कि अगर रुपयों में लेनदेन बढ़ाया गया तो अमेरिका इस मामले में आपत्ति के साथ दखल दे सकता है.
अगर दूसरी करेंसी में व्यापार हो तो वह सिर्फ भारतीय हो
दूसरी ओर, रूस की ओर से भारतीय व्यापारियों से दिरहम और यूरो में पेमेंट करने के लिए कहा जा रहा है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इकोनॉमिक टाइम्स से इस बारे में बताया कि अगर हम व्यापार के लिए डॉलर को किसी दूसरी करेंसी से बदलते हैं तो वह रुपया होना चाहिए.
अधिकारी ने कहा कि रुपये की जगह हम यूरो और दिरहम को क्यों मजबूत करें. साथ ही उन्होंने कहा कि करंसी के चुनाव को लेकर सिर्फ सरकार ही फैसला कर सकती है. उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला भारतीय वित्त मंत्रालय को लेना होगा कि राष्ट्र हित में कौनसी करेंसी सबसे अच्छी रहेगी.
रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा भारत
रूस और यूक्रेन में छिड़े युद्ध के बावजूद भारत अपने नागरिकों के हित में रूस से लगातार तेल खरीद रहा है. हालांकि, अमेरिका इस पर आपत्ति भी जता चुका है, लेकिन भारत ने तेल की खरीद जारी रखी है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मामले में साफ कर चुके हैं कि जहां से भारत को फायदा मिलेगा, वहीं से तेल खरीदारी की जाएगी. दूसरी ओर, अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को बढ़ाते हुए जा रहे हैं, जिससे वह दबाव में आ जाए.