नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था (Economy) ने उम्मीद के मुताबिक ही त्योहारी सीजन में दमदार ग्रोथ दर्ज की है. अक्टूबर में जिस तरह से कारों की बिक्री से लेकर GST कलेक्शन और नौकरियों के मौकों में बढ़ोतरी हुई है उससे ये साफ हो गया है कि ग्लोबल संकट के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था (Economy) बना रहेगा. इस ताकत का लोहा देश विदेश की रेटिंग एजेंसियां भी मान रही हैं और इसी आधार पर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत 2030 से पहले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जाएगा. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, एनर्जी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी.
दुनिया की सबसे आकर्षक निवेश स्थली है भारत!
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती हासिल कर रहा है. ये निवेशकों और कंपनियों के लिए बेहतरीन मौका है. यही दावा पीएम मोदी ने भी कर्नाटक में ग्लोबल इंवेस्टर मीट में किया है कि भारत ग्लोबल संकट में भी मजबूती से खड़ा रहा है, इसलिए विदेशी निवेशकों के लिए यहां पर आना सबसे अच्छा विकल्प है. उन्होंने मिसाल देकर कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद पिछले साल भारत में 84 अरब डॉलर FDI आया.
भारत की तरक्की का बेजोड़ संयोग बना!
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के हालात कई बरसों में एक बार बनते हैं. डेमोग्राफिक, डिजिटलाइज़ेशन, डीकार्बनाइज़ेशन और डीग्लोबलाइजेशन फिलहाल भारत के पक्ष में हैं. अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
लोगों की इनकम होगी दोगुनी!
इस तरक्की से भारतीयों की इनकम में भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है. अगले दशक में भारत में ऐसे परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 2.5 करोड़ हो जाएगी, जिनकी सालाना आय 28 लाख रुपये से ज्यादा होगी. इनकम में बढ़ोतरी से खपत भी बढ़ेगी और जीडीपी अभी से दोगुनी होकर 2031 तक 7.5 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी और अगले 10 साल में ये 10 लाख करोड़ डॉलर को पार कर जाएगी. इसके असर से भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय 1.88 लाख रुपये से बढ़कर 2031 तक 4.33 लाख रुपये हो जाएगी
बैक ऑफिस ऑफ वर्ल्ड का कमाल!
हालांकि इस तेजी में भारत का बैक ऑफिस ऑफ वर्ल्ड का टैग ही कमाल करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक दशक में भारत में आउटसोर्स में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या दोगुनी होकर 1.10 करोड़ तक पहुंच सकती है. आउटसोर्सिंग पर होने वाला खर्च 180 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक करीब 500 अरब डॉलर हो सकता है. मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि इसका असर कमर्शियल और रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज पर देखने को मिलेगा. ऐसे में अगर वर्ल्ड फैक्ट्री चीन की तरह मैन्युफैक्चरिंग में भी भारत तरक्की की रफ्तार बढ़ाने में कामयाब रहा तो फिर भारत की आर्थिक ग्रोथ में तेजी सभी अनुमानों को पीछे छोड़ सकती है. इस बीच अक्टूबर में कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जिससे इकोनॉमी में मजबूती के संकेत मिल रहे हैं.
1. वैश्विक संकट में भारतीय इकोनॉमी ने दिखाया दम!
वैसे भारत में तेजी को लेकर ये दावा मौजूदा ग्लोबल संकट के बावजूद किया जा रहा है. अक्टूबर का फेस्टिव महीना देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद शुभ साबित हुआ है. पिछले महीने GST कलेक्शन 16.6% बढ़कर 1.52 लाख करोड़ हो गया जो अप्रैल 2022 के 1.68 लाख करोड़ रुपए के बाद दूसरा सबसे बड़ा GST कलेक्शन है.
2. कारों की बिक्री ने किया कमाल!
पिछले महीने नवरात्र, धनतेरस और दिवाली जैसे मौकों की वजह से कार बाजार की रफ्तार टॉप गियर में पहुंच गई है. अक्टूबर में गाड़ियों की रिटेल बिक्री 70 फीसदी तक बढ़ गई है. वहीं इलेक्ट्रिक दोपहिया की बिक्री अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है.
3. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का मैजिक जारी!
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों ने अक्टूबर में नई नौकरियां देने में 33 महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ऐसा इसलिए भी मुमकिन हुआ कि एशिया में केवल भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड बढ़ी है. अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर के 55.1 से बढ़कर 55.3 पर पहुंच गया है. इसके पहले सितंबर में ये 3 महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया था.
4. सर्विसेज PMI का शानदार प्रदर्शन!
सर्विस सेक्टर लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य इंजन रहा है. अक्टूबर में लगातार 15वें महीने सर्विसेज PMI 50 के ऊपर रहा है जो विस्तार का संकेत है. अक्टूबर में सर्विसेज PMI 55.1 पर पहुंच गया है जबकि सितंबर में ये 54.3 पर था.
5. कई मोर्चों पर तेजी जारी
अक्टूबर में पेट्रोल बिक्री 12.1 फीसदी बढ़कर 2.78 मिलियन टन पर पहुंच गई. इसके अलावा डीजल की बिक्री 12 परसेंट बढ़कर 6.57 मिलियन टन हो गई जो 4 महीने का उच्चतम आंकड़ा है.