आज (14 नवंबर 2021, रविवार) देवउठनी एकादशी है. 4 महीने से पाताललोक में आराम कर रहे भगवान विष्णु आज जागेंगे और फिर से पूरी सृष्टि का संचालन संभालेंगे. आज तुलसी-शालिग्राम विवाह रचाया जाएगा और इसी के साथ शादी के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे. यदि एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो व्रत-पूजा के कुछ नियम जरूर जान लेना चाहिए. साथ ही आज ऐसी गलतियां (Mistakes) नहीं करनी चाहिए, जो कई समस्याओं को न्योता दे सकती हैं.
आज भूलकर भी न करें ये काम
- व्रत करें या न करें लेकिन आज नॉनवेज-शराब जैसी तामसिक चीजों का सेवन गलती से भी न करें. ऐसा करना अच्छी-भली जिंदगी में मुसीबतों को बुलावा देना है.
- देवउठनी एकादशी के दिन देर तक न सोएं, ना ही स्नान करने में देरी करें.
- आज ब्रम्हचर्य का पालन करें.
- किसी से अपशब्द न कहें.
- देवउठनी एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत अहम माना गया है, लिहाजा आज व्रत रखें. यदि बीमारी या किसी अन्य कारण से व्रत न कर पाएं तो भी दिन में केवल एक समय ही सात्विक भोजन ही करें.
- देवउठनी एकादशी के दिन किसी भी पेड़-पौधे की टहनी या डाल न तोड़ें. यहां तक कि आज दातुन भी न करें. ऐसा करना से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं.
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
देवउठनी एकादशी तिथि 14 नवंबर 2021 को सुबह 05:48 बजे से शुरू हो कर 15 नवंबर को सुबह 06:39 बजे तक रहेगी. वहीं तुलसी जी और भगवान विष्णु के प्रतिरूप शालिग्राम का विवाह रचाने के लिए चौकी पर आसन बिछाकर उस पर शालीग्राम की मूर्ति स्थापित करें. बगल में तुलसी जी का पौधा रखें. तुलसी जी को चुनरी ओढ़ाएं. तुलसी जी और शालिग्राम जी के चारों और गन्ने का मंडप लगाएं. कलश स्थापना करके गौरी-गणेश की पूजा करें. इसके बाद तुलसी जी और शालिग्राम जी को धूप, दीप, वस्त्र, फूल आदि अर्पित करें. बाद में हाथ में आसन समेत शालीग्राम जी को लेकर तुलसी जी के सात फेरे कराएं. आखिर में भगवान विष्णु और तुलसी जी की आरती करें.
खबर इनपुट एजेंसी से