नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। विकास के नाम का सेतु भ्रष्टाचार की भेंट तले दब गया। और इस सेतु को बनाने वाला उपयंत्री इससे पल्ला झाड़ रहा है। वर्षों से प्रतिनियुक्ति में बैठे उपयंत्री के कारनामों ने जमकर चांदी काटी। प्रदेश में कई पुल अंग्रेजों के समय के बने मजबूती से चल रहे हैं, लेकिन हर सुविधा और अथाह सरकारी धन से निर्मित नए पुल धराशायी हो रहे हैं। जिसके पीछे की वजह लोगों ने भ्रष्टाचार को माना। मामला जिला मुख्यालय से दूरस्थ आदिवासी गांव खोह का है, जहां आरईएस विभाग के द्वारा बनाया गया पुल पांच वर्षों में ही ढहने की कगार में खड़ा है।
यह है मामला :
उमरिया जिले के करकेली जनपद अंतर्गत आने वाले कल्दा पंचायत के खोह में आरईएस विभाग के द्वारा बनाये गए बिनौदा नदी पर के पुल का है, जो आरईएस में प्रतिनियुक्ति पर अंगद की तरह जमे बैठे उपयंत्री सी बी मांझी के संरक्षण में बनाया गया। पुल ध्वस्त हो गया है, सामान्य दिनों में यहां चलने वाले ग्रामीण भले ही डर महसूस न करते हों, लेकिन बारिश के मौसम में नदी पर पानी की तेज धार होने के उपरांत इस पुल से आवागमन किसी खतरे से कम नहीं रहता। ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल तक़रीबन 5 वर्ष पूर्व वर्ष 2018 में हुआ था। पुल का निर्माण कार्य आरईएस विभाग द्वारा कराया गया था।
गुणवत्ता की कहानी बयां कर रहा उपयंत्री का निर्माण :
पुल की दुर्दशा से उपयंत्री के कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह तो उठ रहे हैं साथ ही आरईएस के जिम्मेदार अधिकारी भी इससे अछूते नहीं हैं। मसलन पांच वर्षों में ही पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। वहीं उपयंत्री ने इस पुल निर्माण को अपने से दूर रखते हुए पल्ला झाड़ लिया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह खोह में बने पुल का निर्माण पांच वर्ष पहले आरईएस उपयंत्री द्वारा कराया गया। जहां से बोर्ड तक गायब हैं। लोगों की मांग है, कि उक्त पुल की जांच होनी चाहिए। सच सामने आ जाएंगे।
इन्होंने कहा –
मेरी जानकारी में हैं, खोह पुल का निर्माण मैने नहीं कराया। उस समय मैं डब्ल्यूआरडी (जल संसाधन विभाग) में था। आरईएस द्वारा कराया गया है।
सी बी मांझी, प्रतिनियुक्ति में आरईएस उमरिया के उपयंत्री