हरिद्वार : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का बुलडोजर अतिक्रमण के खिलाफ जमकर गरजा। भारी विरोध के बीच अवैध धर्मस्थल को ध्वस्त कर दिया गया। लोगों के विरोध के बावजूद भी प्रशासन-पुलिस की टीमें ने कार्रवाई को जारी रखा। साथ ही चेतावनी दी गई कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ भविष्य में भी कार्रवाई जारी रहेगी।
हरिद्वार के आर्यनगर क्षेत्र में मुख्य मार्ग पर अवैध रूप से बने एक धर्मस्थल को भारी विरोध के बीच ध्वस्त कर दिया गया। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पंद्रह मिनट में जिला प्रशासन-पुलिस फोर्स ने धर्मस्थल का हटा दिया। एहतियात के तौर पर आसपास का बाजार बंद कराते हुए कनखल-आर्यनगर मार्ग पर यातायात डायवर्ट कर दिया गया।
करीब एक घंटे बाद धर्मस्थल को हटा देने के बाद यातायात व्यवस्था बहाल की गई। इधर, विरोध कर रहे लोगों की जिला प्रशासन-पुलिस महकमे की सख्ती के कारण एक न चली। एसएसपी अजय सिंह ने स्थानीय पुलिस को पूरी तरह से चौकसी बरतने के निर्देश दिए हैं।
आर्यनगर क्षेत्र में अवैध रूप से बने धर्मस्थल को हटाने की अंदरखाने पूरी तैयारी कर ली गई थी। जिला प्रशासन का कहना था कि सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाएगा। शनिवार को दोपहर ढाई बजे करीब एकाएक पहुंचे प्रशासनिक-पुलिस के अमले ने आर्यनगर चौक और धर्मस्थल से चंद कदम की दूरी पर बैरिकेडिंग कर दी। आसपास का बाजार बंद कराया गया।
एसडीएम पूरण सिंह राणा, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती की अगुवाई में धर्मस्थल को जेसीबी से ध्वस्त कराया गया। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में लोग विरोध करने पहुंचे, जिन्हें आर्यनगर चौक पर ही बैरिकेडिंग पर रोक लिया गया। विरोध में लोगों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
उनकी प्रशासनिक पुलिस अधिकारियों से नोकझोंक भी हुई, लेकिन विरोध काम नहीं आ सका। पंद्रह मिनट में जेसीबी से धर्मस्थल को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। फिर तुरंत मलबे को हटाने का कार्य शुरू किया गया। करीब एक घंटे बाद भारी विरोध के बावजूद धर्मस्थल को हटा देने के बाद यातायात व्यवस्था बहाल कर दी गई।
धर्मस्थल के ध्वस्त होने के बाद विरोध कर रहे लोग भी लौट गए। इस दौरान पूरे शहर के थाने कोतवाली की फोर्स के अलावा पीएसी भी मौजूद रही। नगर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि धर्मस्थल को हटा दिया गया है। एहतियात के तौर पर पुलिस को पूरी तरह से चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
पार्षद पहुंचे: धर्मस्थल को जब ध्वस्त किया जा रहा था, तब कांग्रेसी पार्षद सुहैल कुरैशी और नामिक पार्षद हारुन खान वहां पहुंच गए। जिन्हें देखकर पुलिस ने उन्हें तुरंत वहां से हटाया। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने जब कानूनी कार्रवाई करने की बात कही, तब दोनों चलते बने।
नहीं कर सका कोई रिकार्डिंग
धर्मस्थल को हटाने के दौरान उसकी कोई वीडियो रिकार्डिंग न कर सके, इसका भी विशेष तौर पर ध्यान रखा गया। आसपास के बाजार बंद करा दिए गए थे। यही नहीं यदि कोई छत पर भी मौजूद था तो उसे भी पुलिस ने हटा दिया।
विधायक उमेश भी आए थे बचाव में
निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी धर्मस्थल के बचाव में आगे आए थे। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के साथ जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से मुलाकात की थी। मांग की थी कि धर्मस्थल को न हटाया जाए।
विरोध कर रहे पक्ष का यह है दावा
विरोध कर रहे पक्ष की माने तो धर्मस्थल का इतिहास बेहद ही पुराना है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड रजिस्टर में धर्मस्थल का नाम दर्ज है। यूपी के जमाने में हुए सर्वे में भी यहां धर्मस्थल होने का दावा किया गया है।
सिंहद्वार फ्लाईओवर के नीचे बना धर्मस्थल भी हटाया गया
हरिद्वार के सिंहद्वार फ्लाईओवर के नीचे बने एक धर्मस्थल को भी हटा दिया गया। भारी सुरक्षा व्यवस्था होने के चलते कोई विरोध में नहीं आया। हालांकि, धर्मस्थल से प्रतिमा चेतावनी के बाद ही हटा दी गई थी। चंद मिनट में जेसीबी से धर्मस्थल के ढांचे को ढहा दिया गया। कुछ समय पूर्व फ्लाईओवर के नीचे एक धर्मस्थल का निर्माण कर दिया गया था।
बकायदा एक तहखाना तक उसके नीचे बना दिया गया था। आर्यनगर चौक क्षेत्र से धर्मस्थल को ढहा देने के बाद सरकारी अमला फिर सिंहद्वार फ्लाईओवर के नीचे पहुंचा। कुछ लोग विरोध करने के लिए पहुंचे थे लेकिन पुलिस देखकर उन्होंने कुछ नहीं कहा। धर्मस्थल से प्रतिमा पूर्व में हटाई जा चुकी थी। जेसीबी ने चंद मिनट में धर्मस्थल के ढांचे को हटा दिया।