भोपाल : धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि रामचरितमानस की प्रतियों को जलाना घोर निंदनीय है. हिंदुओं को टारगेट करना, हिंदू आस्था को टारगेट करना, सनातनियों को टारगेट करना, ये एक बहुत बड़ी लॉबी है जो ये सब कर रही है. ये प्लांटेड लोग हैं जिन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया है. लेकिन मुझे खुशी है कि बागेश्वर धाम से ये संदेश गया है कि सनातनियों को एकजुट होने की जरूरत है, हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है.
क्या है रामचरितमानस विवाद?
धीरेंद्र शास्त्री की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का भी स्वागत किया गया है जहां पर उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म ही राष्ट्र धर्म है. उनकी तरफ से बताया गया कि हर सनातनी इस समय एकजुट हो रहा है, हिंदू राष्ट्र के लिए काम कर रहा है. वैसे जानकारी के लिए बता दें कि इस समय रामचरितमानस विवाद गहराता जा रहा है. इसका बड़ा कारण स्वामी प्रसाद मौर्य है जिनके एक बयान ने इस विवाद को हवा दी थी. उस बयान के बाद रविवार को लखनऊ में ओबीसी महासभा द्वारा रामचरितमानस की प्रतियां जला दी गई थीं. उसमें 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कहा था?
असल में सबसे पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाइयों को लेकर सवाल किए थे. उन्हीं के बयान के बाद लखनऊ में धार्मिक ग्रंथ की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया. दरअसल, मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा था- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है, जिसमें इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.