नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं. अब चार जून का इंतजार है. लगभग हर Exit Poll में बीजेपी (BJP) को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है. बीजेपी के नेता एकसुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस बार 400 पार यानी NDA के 400 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं. जीत और हार के इस सबसे बड़े सियासी खेल की चर्चा के बीच कोई भी पॉलिटिकल पंडित यानी राजनीतिक विश्लेषक इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि 2024 के चुनावी नतीजे तय करने में भी महिला मतदाताओं की अहम भूमिका होगी. वहीं एग्जिट पोल के नतीजे भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आधी आबादी के वोटों का झुकाव जिस तरफ होगा वो 2024 की बाजी आसानी से जीत सकता है.
बीते 20 सालों में भारत के चुनावी इतिहास में क्या बदलाव आया?
महिलाएं ग्रामीण परिवेश की हों या शहरी. हाउस वाइफ/ होममेकर हो या वर्किंग वूमेन. महिलाएं किसी भी जाति या मजहब की हों उनकी पसंद अलग-अलग हो सकती है लेकिन सुरक्षा और सम्मान की बात हो तो सभी एक ही तरह की सोच रखती हैं. हालांकि ये भी सच है कि आज भी बड़ी तादाद में महिलाएं अपने परिवार के साथ वोट डालने जाती हैं. यानी कि उनकी पसंद परिवार के अन्य सदस्यों से अलग नहीं है. इसके बावजूद ये कहा जा रहा है कि मतदान को लेकर महिलाओं की सोंच में जो बदलाव आया है वो ये है कि महिलाएं अब किसी दबाव पर ध्यान न देकर अपनी पसंद से वोट देने लगी हैं.
ऐसे में ये पांच वो कारण हो सकते हैं, जिससे एनडीए इस बार आसानी से 400 सीटों से ज्यादा पर जीत हासिल कर सकता है, जिसका दावा बीजेपी के नेता पिछले कई महीनों से कर रहे हैं.
बीते एक दशक में महिलाओं के वोटिंग पर्सेंट को समझने के लिए एक्सपर्ट्स ने जो पांच कारण बताए हैं, जो महिलाओं के वोटिंग पैटर्न की ओर इशारा करने के साथ-साथ कहीं न कहीं महिला सशक्तिकरण (Women’s empowerment) की एक विराट और शानदार तस्वीर पेश करते हैं.
1. लाभार्थी योजनाएं
केंद्र द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं के अलावा, देश की कई राज्य सरकारों के पास महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी-अपनी सूची है. बीते पांच सालों में किसान और मजदूर तबके की महिलाओं ने विधानसभा चुनावों में विभिन्न दलों को अपना भारी समर्थन दिया है. उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में TMC, UP और MP में BJP और कर्नाटक में कांग्रेस या अन्य राज्यों में कोई और स्थानीय पार्टी को महिलाओं ने सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है.
यहां ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि सरकार में दोबारा चुने जाने पर कई कल्याणकारी योजनाओं और वादों के बावजूद, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को महिला मतदाताओं ने दोबारा उन्हें मौका नहीं दिया.
2. सुरक्षा
दूसरी परिकल्पना की बात करें तो महिलाएं अब सुरक्षा के नाम पर वोट देने लगी हैं. जिस दल ने अपनी सरकार के राज में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सख्ती से काम किया उन्हें वहां इसका फायदा मिला. खासकर यूपी में माफियाओं के खिलाफ हुए एक्शन और अपराध के ग्राफ में आई कमी और महिलाओं में मजबूत हुई सुरक्षा की भावना को सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे बड़ा मुद्दा बनाकर आधी आबादी का भरपूर समर्थन हासिल किया.
3. धर्म
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक धार्मिक माना जाता है. ऐसा लगता है कि जब पत्रकारों ने इस चुनाव में महिला मतदाताओं से बात की है तो महंगाई के अलावा उनकी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं को भी टटोलने की कोशिश की होगी. ऐसे में राम मंदिर का उद्घाटन भी महिलाओं के एक बड़े वर्ग के वोट को बीजेपी की ओर ले जाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है.
वहीं बीते कुछ सालों में कई पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीन तलाक (Triple talaq) पर बीजेपी के मजबूत स्टैंड के कारण मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women’s) का रुझान बीजेपी (BJP) की ओर बढ़ा है. यूपी में बीजेपी ने ‘थैंक्यू मोदी भाईजान’ कार्यक्रम कराकर मुस्लिम महिलाओं का समर्थन जुटाने की कोशिश की.
4. प्रतिनिधित्व
आधी आबादी को आज भी उसका पूरा हक नहीं मिला है. महिलाओं को समाज और देश में बराबर का प्रतिनिधित्व देने की बात करके बीजेपी ने नारी शक्ति वंदन बिल पास किया. हालांकि महिला आरक्षण का मुद्दा बीजेपी के कितने काम आएगा ये अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात करना भी वो मुद्दा है, जिसपर महिलाओं ने वोट किया होगा.
5.इंट्रापर्सनल कम्युनिकेशन
नेताओं का जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव मतदान व्यवहार में एक महत्वपूर्ण कारक होता है. इसलिए यहां बात इंट्रापर्सनल कम्युनिकेशन यानी अंतर्वैयक्तिक संचार की जो संवाद का एक रूप है. ये एक गैर-मौखिक संचार है जो हमें एक दूसरे से गहरे स्तर पर जुड़ने में मदद करता है. पीएम मोदी को इसमें महारथ हासिल है. पीएम मोदी समेत बीजेपी के सभी नेताओं ने महिलाओं को उनका हक दिलाने का भरोसा दिलाया है. वहीं बीजेपी के कई नेताओं ने बीते कुछ सालों में महिलाओं से जुड़े हर मुद्दे पर लगातार सावधानीपूर्वक चर्चा करके महिलाओं के बीच अपना जुड़ाव मजबूत किया है.
ऐसे में ये पांच वो कारण हो सकते हैं, जिससे एनडीए इस बार आसानी से 400 सीटों से ज्यादा पर जीत हासिल कर सकता है, जिसका दावा बीजेपी के नेता पिछले कई महीनों से कर रहे हैं.