नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान प्रेसवार्ता के दौरान म.प्र. में गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध लेखक व विचारक तथा राजनीतिक रणनीतिकार भास्कर राव रोकड़े द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को प्रदेश में हाशिये में पहुंची कांग्रेस का ज़िम्मेदार ठराया। उन्होंने बताया 1980 के बाद म.प्र.में राजघरानों व पूर्व सामंतों के वंशजो ने अघोषित सामंतवाद स्थापित कर लिया। सन 1980 के बाद म.प्र.में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर रहे सामंतवादियों ने पिछड़ी व अत्यंत पिछड़ी जातियों से किसी को भी आगे बढ़ने नही दिया। उन्हें इतना परेशान कर दिया जाता कि वे उठकर कुछ करने लायक नही बचते।
भास्कर राव रोकड़े ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री स्व.अर्जुन सिंह ने पिछड़ी जातियों के लिए सर्वहारा शब्द का उपयोग किया, तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उनसे चार कदम आगे चलते हुए वंचितों के मसीहा बनने लगे। लेकिन उन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी नेताओं को कुचक्र में फंसाकर उनकी संभावनाओं पर ही विराम लगा दिया। जिसके कारण पिछड़ी जातियों से नेतृत्व उभरकर सामने नहीं आ पाया। दिग्विजय सिंह की सामंती सोच के कारण ही प्रदेश में कांग्रेस के किसी भी नेता को सफल नही होने दिया। इसमें कमलनाथ भी शामिल है। जिसके कारण प्रदेश कांग्रेस के पक्ष में वातावरण होते हुए भी पार्टी को बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। दिग्विजय सिंह के कारण म.प्र. में कांग्रेस बहुत-अधिक कमजोर हो गई है।
उन्होंने 2018 में कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह पर उनके और प्रदेश कार्यालय में अपने करीबियों को नियुक्त कर कमलनाथ की लोकप्रियता को कम करने का आरोप लगाया। बताया 2020 में कमलनाथ सरकार के गिरने का कारण दिग्विजय सिंह ही थे. जिसके संकेत उन्होंने कमलनाथ को भी दिए था।दिग्विजय सिंह ने तिकड़म-बाजी कर सन 2018 के विधानसभा चुनाव में भी 45 टिकट गलत दिलाभी आरोप लगाया। रोकड़े ने बताया कि लोकसभा चुनाव के समय मप्र की 29 में से 28 सीटों की टिकट दिग्विजय सिंह के मर्जी से ही दिए गए। जिसके कारण मप्र में 14 सीटों पर जीत की उम्मीद थी किन्तु कांग्रेस जीरो पर पहुंच गयी। जबकि 7 फरवरी रोकड़े ने कहा था कि प्लानिंग के अनुरूप चुनाव जीतने योग्य उम्मीदवारों को टिकट दी गई, तो 29 में से 14 सीटों में कांग्रेस को सफलता मिल सकती है.
रोकड़े ने बताया कि पुरातत्व महत्व के किलो व महलों से राजघरानों के वंशजों को खाली कराने, सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष करने, आउटसोर्सिंग प्रणाली से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने, सरकारी व निजी क्षेत्र में एकसमान वेतन हेतु न्यूनतम वेतन अधिनियम लागू करने, पुनः 8 घंटे की शिफ्ट ड्यूटी लागू करने तथा पूर्ववत श्रम क़ानूनो को लागू करने, आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू करने हेतु जातिगत जनगणना करने, ओबीसी व ईबीसी को समानता का अधिकार देने तथा इंडस्ट्री सेंट्रिक कम्युनिटी फार्मिंग सिस्टम से किसानों को नवक्रान्ति से जोड़ने हेतु 2 मई 2022 को मप्र के रीवा नगर से सम्यक अभियान शुरू किया गया। अब सम्यक अभियान अन्य राज्यो में विस्तारित होने जा रहा है। नवक्रान्ति, सम्यक विकास, राजघरानों की मनमानी पर रोक लगाकर उनके पास रखी अकूत संपत्ति तथा किलो व महलों को सरकारी घोषित कराके, शिक्षित बेरोजगार युवाओं को सम्मानजनक रोजगार के अवसरों से जोड़ने हेतु सम्यक अभियान संकल्पित है।