भोपाल: अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां तेजी से चल रहीं हैं। जैसे जैसे तारीख नजदीक आते जा रही है, इसको लेकर सियासत भी तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी एक बयान आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के पीछे बीजेपी, आरएसएस और विहिप की मंशा उस स्थान पर मंदिर बनाने की नहीं, बल्कि इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाने की थी।
सोशल मेडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा ‘कांग्रेस पार्टी ने कभी भी राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया है। कांग्रेस ने सिर्फ विवादित भूमि में निर्माण के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए ही कहा है।’ दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस ने कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। केवल विवादित भूमि में निर्माण हेतु न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा था। गैर विवादित भूमि पर भूमि पूजन भी राजीव जी के समय हो गया था। नरसिम्हा राव जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए गैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था लेकिन भाजपा, विश्व हिंदू परिषद् (विहिप) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मंदिर निर्माण नहीं मस्जिद गिराना था। क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरेगी तब तक मुद्दा हिंदू मुसलमान का नहीं बनता।’
आगे दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘विध्वंस उनकी चाल व चरित्र में है अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना उनकी रण नीति है। इसीलिए उनका नारा था ‘राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ अब वहां क्यों नहीं बनाया? जब सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि न्यास को दे दी थी? इसका जवाब तो केवल विहिप के चंपत राय जी या नरेंद्र मोदी जी ही दे सकते हैं। सिंह ने कहा कि उनकी सहानुभूति उन स्वयंसेवक परिवारों के साथ है जो मंदिर निर्माण आंदोलन में शहीद हुए और वो लोग जिनके ऊपर न्यायालय में आपराधिक मुक़दमे चले। उन्होंने सवाल किया कि क्या वे लोग आमंत्रित किए गए हैं। निर्मोही अखाड़े के लोग जिन्होनें 175 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी, जिन्होनें अदालत में लड़ाई लड़ी, क्या उन्हें आमंत्रित किया? सिंह ने आरोप लगाया कि ऐसे लोगों का पूजा का अधिकार भी छीन कर चंपत राय के चयनित स्वयंसेवकों को दे दिया गया। क्या यही राज धर्म है और क्या यही राम राज है?