नई दिल्ली : टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विभिन्न सेक्टर में हो रहा है. मेडिकल सेक्टर को मजबूत करने के लिए रिसर्चर्स हर दिन कोई ना कोई नया प्रयास कर रहे हैं. इस सेक्टर की क्षमताओं का टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से विस्तार किया जा रहा है. रिसर्चर्स अब किसी की आवाज से बीमारी का पता लगाने की टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं.
रिसर्चर्स एक डेटाबेस तैयार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल इंसान की आवाज सुनकर उसे हुई बीमारी का पता लगाने में किया जाएगा. AI बेस्ड इस टूल का इस्तेमाल अलजाइमर से लेकर कैंसर तक के डायग्नोसिस में किया जाएगा.
इस पर काम कर रहे इंस्टीट्यूट की मानें तो वे इंसान की आवाज का इस्तेमाल करके रोग को पता लगाने की टेक्नोलॉजी विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. ये ठीक वैसे ही काम करेगा जैसे अभी ब्लड या टेम्परेचर की मदद से किसी की हेल्थ का पता लगाया जाता है.
क्या है एक्सपर्ट्स का कहना?
इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रोफेसर Olivier Elemento ने बताया, ‘वॉयस डेटा की खूबसूरती यह है कि संभवतः ये सबसे सस्ता डेटा है, जिसे आप किसी यूजर से कलेक्ट कर सकते हैं.’ उन्होंने बताया, ‘ये किसी मरीज से जानकारी इकट्ठा करने का सबसे ज्यादा एक्सेसिबल तरीका है.’
प्रोजेक्ट पर काम कर रहे Yael Bensoussan ने बताया कि पिछली कुछ स्टडीज ने आवाज से रोग पता करने की क्षमताओं को एक्सप्लोर किया है. हालांकि, ये शोध छोटे थे. इसके अलावा वॉयस डेटा का बड़ा डेटाबेस भी मौजूद नहीं है. ये शोध का बिलकुल नया एरिया है. रिसर्चर्स ने अभी तक इस टेक्नोलॉजी के लिए वॉयस इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करने का बेस्ट तरीका नहीं खोजा है.
कैसे काम करेगी ये टेक्नोलॉजी?
आसान भाषा में इस पूरे मामले को समझे तो अभी आपको किसी भी बीमारी की जांच के लिए ब्लड या कोई और सैंपल देना होता है. भविष्य में आपकी आवाज भी इसी तरह का एक सैंपल बन सकेगी. रिसर्चर्स अभी इस सेक्टर पर काम कर रहे हैं और इसे पूरा होने में कितना वक्त लगेगा ये साफ नहीं है.
इसके लिए रिसर्चर्स लोगों की आवाज का एक डेटा बेस तैयार करेंगे, जिसका इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल विकसित करने में किया जाएगा. रिसर्चर टीम एक नया ऐप तैयार करना शुरू कर दिया है, जो लोगों के वॉयस सैंपल कलेक्ट करेगा.
फर्ज करिए किसी को पारकिन्सन की समस्या है. ऐसे व्यक्ति की आवाज धीमी होगी और टोन पिच लो होगी. जांच के दौरान किसी शख्स को ऐप पर दी गई लाइन्स को पढ़ना होगा और उसकी आवाज के आधार पर ही बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. इसमें लोगों की प्राइवेसी प्रोटेक्शन का भी ख्याल रखा जाएगा.
टेक्नोलॉजी कंपनियां भी कर रही हैं काम
मेडिकल इंडस्ट्री ही नहीं बल्कि बड़ी टेक कंपनियां भी लोगों की आवाज का इस्तेमाल वॉयस असिस्टेंट तैयार करने में कर रही हैं. ऐमेजॉन ने एक पेटेंट फाइल किया है, जिसका इस्तेमाल करके Alexa पता कर सकेगा कि लोगों को इमोशनल या कोई दूसरे प्रॉब्लम है. कुल मिलकार आने वाले भविष्य में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस हमारी लाइफ में कई काम आसान करने वाला है.