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एक व्यंग : नेकी कर और फेसबुक पर डाल

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
21/05/20
in साहित्य
एक व्यंग : नेकी कर और फेसबुक पर डाल
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सीमा "मधुरिमा"सीमा”मधुरिमा”
लखनऊ


आज बहुत दिनों के बाद मीतू का अपनी एक अभिन्न सखी रीमा से मुलाक़ात हुई तो बातों का सिलसिला चल निकला !
मीतू ,” कैसी हो रीमा, शुक्र हैं आज घर से निकलना हुआ… मन बिलकुल जाने कैसा हो रहा था इतने दिनों से बंद घर में… निकली तो सोचा तुम्हारे हाल चाल ले लूँ …क्या कर रही थी l
रीमा , ” कुछ नहीं मीतू , तुम तो जानती ही हो मेरे ससुर जी ने जिस मुहीम का बेड़ा मेरे सर पर डाल दिया हैं अब लगता हैं जीवन मेरा उसी मुहीम में समाप्त हो जाएगा , ”
मीतू , ” क्या हुआ रीमा साफ साफ कहो ,”
रीमा , ” अरे वही मलिन बस्ती की बात कर रही हूँ जहाँ के बच्चों को पढ़ाई की जिम्मेदारी ली हैं ,”
मीतू ,” क्या हुआ उन बच्चों को ,”
रीमा , ” अरे नहीं बच्चे ठीक हैं …बहुत मेहनत कर रहे हैं. जबसे ये तालाबंदी हुई हैं बस्ती के लोगों के जो भी छोटे मोटे काम धंधे थे सब बंद हो गए… अब ऐसे में वो लोग मुझसे ही उम्मीद लगा रहे… उनको लगता हैं मुझसे परेशानी कह देने से उनकी समस्या का निदान हो जाएगा… और तुमसे तो कुछ भी नहीं छिपा हैं मेरी कोचिंग और उससे होने वाली आमदनी से ही ये सब मैं कर पाती हूँ… अब कोचिंग की आमदनी भी खत्म हैं इनदिनों… पतिदेव या सासू माँ से ज्यादा डिमांड करूंगी तो मेरे इस पुनीत अभियान में ही रोक लग जाएगा इसलिए उनसे भी ज्यादा नहीं कुछ कह सकती …फिर भी उनलोगों ने चार कुंतल चावल और आटा दाल और कुछ रूपये खुद से मुझे दिए इनलोगों की मदद के लिए… पर इतनी बड़ी बस्ती में ऊंट के मुँह में जीरा सा ही हैं… ऐसा नहीं की सरकारी मदद नहीं आ रही… कुछ एन जी ओ वाले भी आते हैं पर उनका काम देना कम और ज्यादा से ज्यादा तस्वीरें खिंचवाना ही रहता हैं …क्या करें मन दुखता हैं ऐसे में ,”

मीतू , ” रीमा मैंने तो इस बीच बहुत लोगों को सहायता पहुंचाई …पर तुमने न ही कुछ बताया और न ही अपनी वाल पर ही कुछ डाला तो मुझे लगा सब सही ही होगा , ”
रीमा , ” नहीं मीतू मैं कभी नहीं डालती सोशल मीडिया के किसी भी वाल पर …उसे मैंने देखा हैं लोग कमेंट बॉक्स में तो सराहना करते हैं और असल में गालियाँ देते नहीं थकते ….और तो और कई लोगों की वाल पर इन सबके विरुद्ध भी पोस्ट करते देखा हैं …बकायदा वो लोगों से उनका ओपिनियन मांगते हैं ऐसे वाल पर प्रचार करने वालों के खिलाफ ….सच मीतू ये सोशल मीडिया मुझे कभी समझ नहीं आया …हालाँकि बहुत लोगों को इससे मदद भी मिल जाती हैं ….पर मैं इन सबसे दूर रहती …..अब देखो मेरे सिलाई स्कूल की लड़कियों से कुछ एन जी ओ वाले मास्क बनवा ले गए ….अभी तक उनका एक भी पैसा नहीं दिए और अलग अलग एन जी ओ का बैनर लगा लगा के पच्चीस पचास मास्क बांटकर वाह वाही लूट रहे ….मेरी लड़कियां बहुत दुखी हो जाती हैं बोलती हैं की हम मेहनत करते रात दिन और ऐसे लोग जो हमारा मेहनताना भी बिना दिए अपनी वाह वाही करवा रहे हैं …ऐसे दोहरे चरित्र के लोगों से ही दुनिया भरी पड़ी हैं , ”
मीतू , ” रुको रीमा मेरे एक जानने वाले हैं जरा उनसे कुछ बात करके बताती हूँ शायद कुछ मदद हो जाए तुम्हारे इन बस्ती वालों की , ”
मीतू ने फोन लगाया ,” हेलो , जी वर्मा जी मैं मीतू बोल रही हूँ , आपने उस दिन कहा था न की इस बार का जेठ के मंगलवर का भंडारा कैसे होगा तो आपको बताती हूँ,” ….और मीतू लगभग दस मिनट तक बात करती रही ….दस मिनट बाद रीमा से बोल पड़ी, ” रीमा …वर्मा जी मान गए हैं कल तुमसे सम्पर्क करेंगे …बोल रहे थे उनका कहीं न नाम आना चाहिए न ही फोटो ….बोल रहे थे ईश्वर का ही सब दिया हुआ हैं ज़ब उसकी मर्जी बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता तो मैं कौन होता हूँ किसी को मदद करने वाला ….मैं तो बस निमित्त मात्र हूँ ….वो चावल, आटा , दाल, नमन और तेल के थैले देने की बात कर रहे थे… चलो कुछ दिन का तो इंतजाम हो गया ….मैं और लोगों से भी बात करके तुमको बताती हूँ ….तुम बिलकुल निश्चिन्त रहो ….तुम्हारे इस पावन काम में नस्वार्थ मदद करने वाले बहुत मिलेंगे … तुम तो बस अब प्रसन्न हो जाओ “,

रीमा , ” मीतू मैं तुम्हारा कैसे शुक्रिया करूँ , ”
मीतू , ” देखो रीमा फिर फेसबुक पर किसी ने मदद करने की फोटो डाली …और ध्यान से देखो …ये जिनको मदद कर रहे वो अपना मुँह छुपाने की कोशिश कर रहे ….क्या करें लोग इनको मदद करके जो पुण्य कमाते हैं …उसका गाना गाकर आपने ही हाथों उस पुण्य को मिटा देते हैं उफ्फ्फ्फ़ l

”जाने कैसी मुहीम शुरू हो गयी हैं नेकी कर फेसबुक पर डाल ….नेकी जो दाए हाथ से की जाए तो बाएं हाथ को भी पता न चले ….ऐसी ही व्यवस्था हमारे समाज की थी ….पर पाश्चात्य संस्कृति की अंध दौड़ में अब हम पागल हो गए हैं और ये सोशल मीडिया ने उस पागलपन को और हवा दी है लोग लाइक कॉमेंट और वाह वाही की दौड़ में अंधे हो गए है …किसी अंधे को सड़क पार करवाकर उसकी पिक डाल देते है ….किसी प्यासे को पानी बाद में पिलाते हैं फोटो पहले खींचते हैं ….और तो और कई बार जिस उपहार को देते हुए फोटो खिंचवाते हैं उसको बाद में वापिस लेके रख भी लेते हैं और उस गरीब को मारकर भगा भी देते हैं …..सभी शामिल हैं इस मुहीम में …उफ्फ्फफ्फ्फ़ !!

 

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