10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरु हो चुका है। इन दिनों अपने पितृों की आत्मा को शांति दिलाने के लिए पूजा-पाठ, दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। कहा जाता है हिंदू धर्म में कईं ऐसे उपाय व मंत्र बताएं हैं जिनकी मदद से न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि जीवन में भी इससे अच्छे प्रभाव मिलते हैं। तो वहीं ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में कुछ ऐसे भी मंत्र दिए गए हैं जिनका पितरों के तर्पण के समय उच्चारण करना बेहद लाभदायक होता है। इतना ही नही इसमें कुछ ऐसे भी मंत्रों के बारे में बताया गया है कि जिनका जप पितरों के अनुसार किया जाता है। कहा जाता है जिस पितृ को आप जलांजलि दे रहे हैं उनसे जुड़े मंत्र का उच्चारण किया जाए तो पितर बेहद प्रसन्न होते हैं।
इस मंत्र से पिता जी के लिए तर्पण किया जाता है-
सबसे पहले गंगा जल में या फिर सादे जल में दूध, जौ और तिल मिला लें उसके बाद अंजलि में जल लेकर तीन बार पिता को जलांजलि देते हुए इस मंत्र का जप करें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
माता जी के तर्पण के लिए मंत्र
जलांजलि देते वक्त अपने गोत्र का नाम लेते हुए कहें-
गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
दादा जी के तर्पण के लिए मंत्र
दादा जी को जलांजलि देने के लिए अपने गोत्र का नाम लेते हुए बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
दादी के तर्पण में जल देने का मंत्र
दादी जी को जलांजलि देते समय अपने गोत्र का नाम लेते हुए इस मंत्र का उच्चारण कीजिए- गोत्रे पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
पितृ गायत्री मंत्र
अगर उपर दिए मंत्रों को पढ़ने में आपको कोई परेशानी आ रही है तो पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा पितृ गायत्री मंत्र पढ़ने से भी पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है तथा उनका आशीर्वाद भी मिलता है।