नई दिल्ली। हर किसी की जिंदगी में कभी न कभी आर्थिक उतार-चढ़ाव आता है. इमरजेंसी के समय जब फाइनेंशियल हेल्प की जरूरत हो और मदद न मिले, तो ऐसे समय में आपका क्रेडिट कार्ड बहुत बड़ा सहारा होता है. आजकल शॉपिंग या बिल पेमेंट के लिए भी क्रेडिट कार्ड का चलन बढ़ा है. क्रेडिट कार्ड एक ऐसा कार्ड है, जो आपको पहले खर्च करने की सुविधा देता है. इसका बिल आप महीने के आखिर में पेमेंट करते हैं. कई लोग क्रेडिट कार्ड के बिल को लेकर कंफ्यूजन में रहते हैं.
क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के पास बिल जेनरेट होने के बाद पेमेंट करने के 2 ऑप्शन आते हैं. पहला-टोटल आउट स्टैंडिंग अमाउंट पे करने का. दूसरा- मिनिमम ड्यू अमाउंट पे करने का. मिनिमम अमाउंट ड्यू (MAD) चुकाना कई लोगों के लिए एक आसान ऑप्शन लगता है. लेकिन इस सुविधा का फायदा उठाकर ऐशे लोग शुरुआत में तो हल्का महसूस करते हैं, लेकिन वो अपनी फाइनेंशियल स्टेटस को खतरे में डाल रहे होते हैं.
आइए समझते हैं कि बैंक के क्रेडिट कार्ड का मिनिमम अमाउंट ड्यू कैसे आपको कर्ज के जाल में फंसाता है. बार-बार MAD पेमेंट के क्या नुकसान हैं:-
टोटल आउट स्टैंडिंग और मिनिमम ड्यू अमाउंट को समझिए
टोटल आउट स्टैंडिंग का मतलब होता है आप क्रेडिट कार्ड का महीने भर में जो अमाउंट खर्चा गया है, उसका पूरा बिल पेमेंट करेंगे. जबकि मिनिमम ड्यू अमाउंट से मतलब यह है कि आपको क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जारी रखने के लिए बिल पेमेंट की आखिरी तारीख तक कुछ अमाउंट पे करना है. ये ऑप्शन तब चुनना चाहिए, जब आपके पास पूरा बिल भरने के पैसे नहीं हो.
कितना होता है मिनिमम ड्यू अमाउंट?
मिनिमम अमाउंट ड्यू टोटल अमाउंट का 15% से लेकर 25% तक होता है. यूजर सोचते हैं कि सिर्फ 25% अमाउंट ही पे करने का मौका मिल रहा है. ऐसे में वो इसका लाभ ले लेते हैं. ऐसा बहुत इमरजेंसी में एक या दो बार करना ठीक है, मगर बार-बार मिनिमम ड्यू अमाउंट पे करने से आप इंटरेस्ट के जाल में फंस जाते हैं.
बार-बार MAD पेमेंट के क्या हैं नुकसान?
अगर आप बार-बार मिनिमम अमाउंट ड्यू से ही पेमेंट कर रहे हैं, तो आप लंबे समय के लिए इंटरेस्ट के जाल में फंस रहे हैं.इससे आपका सिबिल स्कोर खराब होता है. क्योंकि बैंक को लगता है कि आप अपने खर्चे कर्जे पर ही निकालते हैं. बैंक मिनिमम अमाइंट ड्यू पर लेट पेमेंट नहीं लेते, लेकिन जो अमाउंट बचता है उसपर भारी-भरकम ब्याज लिया जाता है. इसमें आप जो अमाउंट भरते हैं उसके बाद बचे हुए अमाउंट पर आपको 3% से 4% तक मंथली इंटरेस्ट एक्स्ट्रा देना होता है. यानी साल भर में 30% से लेकर 45% तक एक्स्ट्रा ब्याज देना होता है.
अगर क्रेडिट कार्ड का बिल EMI में चुकाए तो?
बैंक आपको क्रेडिट कार्ड का बिल EMI बेसिस पर भी चुकाने का मौका देती है.अगर आप क्रेडिट कार्ड के बिल का पेमेंट करने के लिए EMI ऑप्शन चुनते हैं, तो आपको इसके लिए एडिशिनल ब्याज चुकाना होगा. अगर आप2
3 महीने की अवधि को चुनते हैं, तो बैंक आपसे सालाना 20% की ब्याज दर से चार्ज वसूल सकता है. एक साल की अवधि चुनने पर यह दर 15% हो सकती है.
ऐसे में क्या करना चाहिए?
EMI और मिनिमम ड्यू अमाउंट का ऑप्शन तभी चुनें, जब आपके पास पैसे की किल्लत हो. केवल इमरजेंसी में ही क्रेडिट कार्ड के बिलों को EMI में बदलवाने के ऑप्शन पर जाना चाहिए.