लखनऊ: रश्मि लहर, भारतीय गन्ना संस्थान, लखनऊ में निजी सचिव के पद पर कार्यरत रहने के साथ साहित्य जगत का भी जाना पहचाना नाम बन चुकी हैं। कई संकलनों के साथ उनकी अब तक विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में 100 से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। काव्य सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों में भाग लेने के के साथ उनका अपना यू – टियूब चैनल भी है जो काफ़ी प्रसिद्ध है। रश्मि लहर को अब तक 38 सम्मान मिल चुके हैं।
बोधि प्रकाशन के संस्थापक मायामृग जी कहते हैं – यह आपकी कहानियाँ हैं, सिर्फ कहानीकार की नहीं, अक्षरशः सत्य है। वैसे भी वही अच्छा कथाकार है जो समाज की हर घटना पर पैनी नजर रख सके तथा उन्हें अपनी कलम से ऊकेर कर समाज को सकारात्मक सन्देश दे सके। मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि रश्मि जी ने जीवन के हर रिश्ते को स्वर देते हुए संवेदनशीलता के स्तर पर न्याय किया है। विभिन्न विषयों के चयन के साथ उनकी कहानियों की भाषा सहज, सरल और बोधगम्य है।
वे कहती हैं -अनुभव अपनी सीमाएं लाँघते रहे। कभी पीड़ा, कभी विस्मय तो कभी संतुष्टि की अभिव्यक्ति करते रहे। संवादहीनता के दुःखद दौर से उपजी व्यधाओं ने प्रबल होकर अभिव्यक्ति की चेष्टा कर डाली। फलस्वरूप तानों -बानों से उलझा सच तिलमिलाकर समय के मस्तक पर शिव के तीसरे नेत्र की भांति विराजित हो गया।
इस संग्रह कि अधिकतर कहानियाँ छोटी हैं पर उनके बारे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी -देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीर। ‘लव यू नानी’ नानी और पोती के प्रेम से सराबोर बहुत ही अच्छी कहानी है वहीं निस्वार्थ कर्म की शिक्षा देती है कहानी ‘अनोखा करवा चौथ’
रिश्तों के दांव पेंच के साथ रिश्तों के मर्म तक पहुँचती, पहुँचाती अपने परायों के भेद को इंगित करती मार्मिक कहानी है ‘ प्रेम के रिश्ते’ एक पढ़ी लिखी लड़की कैसे अपने परिवार के जुल्मों से तंग आकर वाबरी बन जाती है किन्तु जब वही वाबरी अपनी मित्र की संगत और सहायता से कर्मयोगी बनती है, तो पाठकों को सुखद सन्देश दे जाती है। हर घटना को बखूबी उकेरा है लेखिका ने अपनी कहानी ‘बावरी’।
विशुद्ध प्रेम की भावनाओं के अवगूंठन में गुंथी अनोखी प्रेम कथा है ‘अनमोल’ जिसमें नायक जो स्वयं भी लेखक है, नायिका की रचनाओं में अपने जीवन की हर समस्या का समाधान पाकर उससे दिल से जुड़ जाता है। ज़ब वह अपनी भावनाओं को प्रकट करना चाहता है तो नायिका उसे गलत समझ लेती है।
‘दादा जी का चश्मा’ अत्यंत ही हृदयस्पर्शी कहानी है जिसमें दादाजी अपनी पोती की पढ़ाई की फीस जमा करने के लिए वह अपने चश्मे की सोने की कमानी बेच देते हैं।
रेप पीड़िता पर बुनी गईं समाज को सन्देश देती अच्छी कहानी है ‘अचानक’। लोगों को समझना होगा दोषी पीड़िता नहीं वरन कुकर्म करने वह व्यक्ति है जिसकी काम पिपासा ने एक लड़की को दोष न होते हुए भी दोषी बना दिया।
‘असली उत्सव’ में पोती ने अपने माता -पिता से नकारे जाने पर अपनी दादी को न केवल संभाला वरन उनकी देखभाल करने का भी जिम्मेदारी उठाई। जीवन के कटु यथार्थ को उकेरती समाज को दिशा देती शिक्षाप्रद कहानी।
कर भला होगा भला इस कहावत को चरितार्थ करती आत्मीयता के खूबसूरत धागों से बुनी कहानी है ‘अद्भुत डॉक्टर’
विपरीत परिस्थितियों में भी अगर इंसान सकारात्मक रहता है तो कायनात भी उसकी मदद करने लग जाती है रश्मि लहर ने दर्शाया हैं अपनी कहानी ‘तेरी बिंदिया रे’ में।
कभी -कभी जीवन में ऐसा घट जाता है जो इंसान की सोच से परे होता है। एक अप्रिय घटना पल भर में हँसते -खेलते जीवन को पंगु बना देती है। यही हुआ था गौरव और गार्गी के जीवन में। क्या गौरव और गार्गी सहज जीवन जी पाये ? हृदयस्पर्शी कहानी है ‘ आई लव यू गौरव’
मानवीय रिश्तों के खोखलेपन को उकेरती बहुत मार्मिक कहानी है ‘ गुलगुले’। लेखिका कहती हैं न धन की कमी, न रुतबे की कमी पर अपने -अपने अस्तित्व को ऊंचाई देने के लिए सबके मन के भीतर एक वैमनस्यता ने जन्म ले लिया। वैमनस्यता के कारण भाई -भाई के रिश्तों में आती दूरी में पिसते हैं बूढ़े माता -पिता। कभी -कभी बेटे – बहू को उन्हें अपने साथ रखना, उन्हें भरपूर भोजन देना भी भारी पड़ने लगता है। अपनी दूसरी बहू से सास अपनी मनोव्यथा बताने के साथ गुलगुले खाने की फरमाइश करती है किन्तु क्या सास उसके बनाये गुलगुले खा पाती है!! स्थितियों का बेहद सजीव वर्णन किया है लेखिका ने अपनी कहानी ‘ गुलगुले’ में।
रिश्तों के खोखलेपन को दर्शाती कहानी है ‘ अतीत के दस्तावेज ‘ नायिका पूजा के माता – पिता का देहावसान, 12 करोड़ की संपत्ति का मालिक होना, रिश्तेदारों की लोलुप निगाहें, उनसे बचने के लिए नौकरी के लिए बाहर जाना, वहां एक प्रतिष्ठित साहित्यकार से मिलना, जिसके बच्चे उसके बंगले को बेचकर, उससे प्राप्त धन से स्वयं ऐश करने की चाह उन्हें अपने वृद्ध पिता को वृद्धाश्रम में रखने की योजना बनाते हैं। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाती, जीवन के कटु यथार्थ को लेखिका ने जिस तरह अपने शब्दों में पिरोया है वह काबिले तारीफ है। क्या पूजा इस समस्या का हल खोज पाई, इसे जानने के लिए पढ़िए कहानी ‘अतीत के दस्तावेज’
शिरीष, संयोग, कैसे -कैसे दुःख,
नियति और अम्मा भी हृदयस्पर्शी कहानियाँ है।
रश्मि जी का माँ को समर्पित यह पहला कहानी संग्रह है जिसमें
‘अठारह पग-चिन्ह’ में उनकी 18 कहानियाँ हैं।
बोधि प्रकाशन से प्रकाशित 95 पेज की इस पुस्तक का मूल्य मात्र 150 रुपये है। यह पुस्तक अमेज़न पर भी उपलब्ध है।
रश्मि जी को इस पुस्तक की बधाई देते हुए मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए, कामना करती हूँ कि उनकी लेखनी निरंतर प्रवाहमान रहे।