नई दिल्ली : स्मार्टफोन की बिना आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती है. फोन एंटरटेनमेंट के साथ-साथ हमारी ज़रूरत भी बन गया है. जब भी हम ज्यादा समय के लिए बाहर जा रहे होते हैं, तो फोन को ज़रूर चेक कर लेते हैं कि चार्ज तो है न. यही वजह है कि हम में कई लोगों को फोन को हर समय चार्ज पर लगा देने की भी आदत हो जाती है.
हम सबने अपने आसपास नोटिस किया होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं कि थोड़ा भी फोन डिस्चार्ज होता है तो चार्ज पर लगा देते हैं. खूब चार्जिंग करने पर फोन को तो नुकसान हैं ही, लेकिन चार्जर भी इस चीज़ से नहीं छूटा है. हम से 99% लोग फोन को चार्जर से निकाल तो लेते हैं, लेकिन चार्जर को वैसे ही हुआ बोर्ड में लगा हुआ प्लग इन छोड़ देते हैं. आप खुद ही सोचिए कि ऐसे कितने लोग होंगे जो फोन को पहले चार्जर से निकालते हैं, फिर चार्जर भी स्विच बोर्ड से निकाल कर अलग रखते हैं.
जी हां, यकीनन न के बराबर ही लोग होंगे जो कि ऐसा करते होंगे. एनर्जी सेविंग ट्रस्ट के मुताबिक, प्लग-इन किया गया कोई भी स्विच ऑन चार्जर बिजली का इस्तेमाल करेगा. भले ही डिवाइस कनेक्टेड हो या न हो. इससे उत्पादित बिजली की मात्रा में केवल कुछ यूनिट खर्च होते हैं, लेकिन यह चार्जर के लाइफ को धीरे-धीरे कम कर देता है.
फोन बैटरी की लाइफ भी खुद ही खराब करते हैं लोग: फोन को बार-बार चार्ज करने से इसके बैटरी की लाइफ पर असर पड़ता है. यही वजह है कि फोन बैटरी के लिए 40-80 रूल को फॉलो करने के लिए कहा जाता है. ऑप्टिमाइज़ बैटरी लाइफ के लिए, आपका फोन कभी भी 40 प्रतिशत से कम या 80% से ज़्यादा नहीं होना चाहिए.
कई बार लोग फोन को अलग-अलग चार्जर से चार्ज कर लेते हैं. लेकिन ये किसी भी बैटरी के लिए सही नहीं होता है, और हमें सलाह दी जाती है कि फोन को हमेशा ओरिजिनल चार्जर से ही चार्ज करना चाहिए.