नई दिल्ली: क्या दुनिया एक बार फिर परमाणु युद्ध की कगार पर खड़ी है? रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजरायल-ईरान संघर्ष, दोनों ही जगह परमाणु हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन दो साल पहले ही कह चुके हैं कि अगर उसकी संप्रभुता और अस्तित्व को ख़तरा हुआ तो निस्संदेह वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. रूस के पास हजारों परमाणु हथियार हैं जिनमें कई ऐसे छोटे टैक्टिकल न्यूक्लियर वारहेड भी हैं, जिनका इस्तेमाल रणभूमि में किया जा सकता है. इनमें कुछ टैक्टिकल परमाणु हथियार उस बम जितने शक्तिशाली हैं जिसका इस्तेमाल हिरोशिमा में किया गया था.
वहीं, इजरायल के साथ जंग की कगार पर खड़े ईरान ने परमाणु हमले को लेकर बड़ी चेतावनी दी है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक वरिष्ठ सलाहकार ने कहा है कि अगर इजरायल ने ईरानी परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाया तो तेहरान अपने परमाणु सिद्धांत को बदल सकता है. ईरानी अधिकारी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब इजरायली पीएम नेतन्याहू ने एक अक्टूबर के बैलिस्टिक मिसाइलों के हमलों को लेकर ईरान को करारा जवाब देने की कसम खाई है.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था इस्तेमाल
यह सच्चाई तो हम सब जानते हैं कि जो परमाणु सम्पन्न देश हैं, उनके पास हजारों की संख्या परमाणु हथियार, या आसान शब्दों में कहें तो एटम बम हैं. अब सवाल यह है कि ये परमाणु हथियार या एटम बम कितने दिनों तक रखे जा सकते हैं. क्या इनकी कोई एक्सपायरी डेट होती है? या ये सैकड़ों हजारों सालों तक प्रभावी रह सकते हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इनका भंडारण कितने दिनों के लिए किया जा सकता है? सबसे पहले परमाणु बम का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था. इन हथियारों को काफी विनाशकारी माना जाता है क्योंकि एक ही बम लाखों लोगों को मारने और पूरे शहर को तबाह करने की क्षमता रखता है.
भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ते हैं ये हथियार
परमाणु बम एक प्रकार का विस्फोटक हथियार है जो परमाणु विखंडन या संलयन के माध्यम से परमाणु प्रतिक्रियाओं का उपयोग करता है. इस तरह के हथियार भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ते हैं और इसीलिए ये विनाश का कारण भी बनता है. परमाणु बम में युरेनियम या प्लूटोनियम के परमाणु विखंडन से ऊर्जा उत्पन्न होती है. इसके लिए परमाणु के केंद्रक में न्यूट्रॉन से चोट की जाती है जिससे बहुत बड़ी मात्रा में उर्जा उत्पन्न होती है. इसी प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन भी कहते हैं. ये हम सब जानते हैं कि परमाणु बम इतना खतरनाक होता है कि अगर कहीं गिरा दिया जाए तो दशकों तक जन-जीवन का निशान नहीं रहेगा और पेड़ पौधे भी उग नहीं पाएंगे. जैसा कि जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी में हुआ जब अमेरिका ने परमाणु बम गिराए थे.
सीमित जीवन होता है इन हथियारों का
हां, परमाणु हथियारों का जीवनकाल सीमित होता है, और उनके घटक समय के साथ खराब हो जाते हैं. रेडियोधर्मी क्षय प्लूटोनियम गड्ढे में रेडियोधर्मी परमाणु का आधा जीवन 24,000 वर्ष है, जिसका अर्थ है कि उस समय में लगभग आधे रेडियोधर्मी परमाणु नष्ट हो जाएंगे. हालाकि, रेडियोधर्मी क्षय के कारण विखंडन उत्पादों की कुल रेडियोधर्मिता तेजी से घट जाती है. यांत्रिक गिरावट किसी भी जटिल यांत्रिक प्रणाली की तरह, परमाणु हथियारों के घटक समय के साथ खराब हो जाते हैं, यहा तक कि संग्रहीत होने पर भी. किसी हथियार के जीवन को बढ़ाने के लिए, ऊर्जा विभाग उसके घटकों का विश्लेषण करता है और निर्णय लेता है कि उनका पुन: उपयोग किया जाए, नवीनीकरण किया जाए या प्रतिस्थापित किया जाए.
हीलियम के क्षरण से नष्ट होने से पहले परमाणु हथियार लगभग 30-50 वर्ष तक चलते हैं. विस्फोटक आमतौर पर उच्च विकिरण वाले वातावरण में लगभग एक दशक तक चलते हैं, फिर वे नष्ट हो जाते हैं या अस्थिर हो जाते हैं. परमाणु बमों द्वारा उत्पादित अधिकांश रेडियोधर्मी समस्थानिकों का आधा जीवन लगभग 30 वर्ष होता है. परमाणु बम जितना आधुनिक होगा, उतना ही अधिक प्रभावी होगा, और उतना ही कम विकिरण वाले पदार्थ बिखरेगा