नई दिल्ली: अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप एक अप्रत्याशित जीत की ओर अग्रसर हैं। अब तक जितने भी ट्रेंड सामने आए हैं, ट्रंप ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनते दिखाई दे रहे हैं। इसके ऊपर स्विंग स्टेट्स पर सभी की निगाहें थीं, वहां भी ट्रंप ने ही बाजी मारी है, ऐसे में हर मायने में उनके लिए यह जीत ऐतिहासिक साबित होने वाली है। पीएम मोदी ने तो अभी से ही डोनाल्ड ट्रंप को जीत की बधाई भी दे दी है। उन्होंने ट्रंप को अपना ‘जिगरी दोस्त’ बताया है।
वैसे पीएम मोदी इस समय जरूर चाहेंगे कि उनके यह जिगरी दोस्त भारत के लिए भी सही मायनों में अपनी दोस्ती निभाएं। वर्तमान में भारत कई चुनौतियों से जूझ रहा है, आंतरिक विवादों को अगर छोड़ दिया जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई चिंताएं सता रही हैं। इस समय कनाडा के साथ भारत के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं, पाकिस्तान भी आतंकवाद को लेकर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, इसके ऊपर चीन भी अभी तक हिंदुस्तान के साथ भरोसे वाला रिश्ता नहीं निभा पाया है।
ऐसे में अब जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, पीएम मोदी जरूर चाहेंगे कि उनकी तरफ से चार काम सबसे पहले किए जाएं।
काम नंबर 1- ट्रूडो को सख्त संदेश दें ट्रंप
जब से कनाडा में खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई है, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो हाथ धोकर भारत के पीछे पड़ चुके हैं। अभी तक उनकी तरफ से एक बार भी सबूत पेश नहीं किए गए, लेकिन खुफिया जानकारी का हवाला देकर वे लगातार गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका मानना है कि निज्जर की हत्या में भारत के अधिकारियों का हाथ है। इसके ऊपर FIVE EYES वाले देश भी कनाडा के साथ खड़े हैं, इसने भारत की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।
लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप उन नेताओं में शुमार हैं जिनकी आतंकवाद, अलगाववाद पर स्पष्ट नीति रही है। पीएम मोदी की तरह वे भी ऐसे मुद्दों पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। ऐसे में जब कनाडा में खालिस्तानी तत्व फिर सिर उठा रहे हैं, जब फिर भारत के खिलाफ कनाडा की धरती से साजिश रची जा रही है, पीएम मोदी जरूर चाहेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप, जस्टिन ट्रडो को हद में रहने की सलाह दें। यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका खुद FIVE EYES वाले संगठन में शामिल है, ऐसे में ट्रंप कार्यकाल के दौरान उसके रुख पर अब जरूर नजर रहेगी।
काम नंबर 2- भारत को ह्यूमन राइट्स का पाठ पढ़ाना हो बंद
अमेरिका की भारत को लेकर एक पुरानी आदत रही है, यहां के कई सर्वे, कई रिपोर्ट हिंदुस्तान को ही ह्यूमन राइट्स का पाढ़ पढ़ाते रहते हैं। अमेरिका में चाहे अल्पसंख्यकों के साथ कुछ भी हो रहा हो, भारत के मुस्लिम, भारत के दूसरे समुदायों की इस देश को ज्यादा चिंता रहती है। अमेरिका की तरफ से ऐसा नेरेटिव सेट कर दिया जाता है कि भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं, वहां पर असुरक्षा का माहौल है। लेकिन अब पीएम मोदी जरूर चाहेंगे कि इस नेरेटिव पर रोक लगे, उनका यह काम डोनाल्ड ट्रंप बतौर राष्ट्रपति कर सकते हैं।
वैसे भी डोनाल्ड ट्रंप इस विचारधारा के नेता रहे हैं कि अमेरिका को दूसरे मुल्कों के युद्ध में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यहां तो भारत के आंतरिक मुद्दों पर बहस छिड़ी है, ऐसे में ट्रंप इस पर रोक लगवा सकते हैं जिससे भारत को कुछ भी साबित करने की जरूरत ना पड़े।
काम नंबर 3- आतंकवाद पर पाकिस्तान को सबक
आतंकवाद को लेकर तो डोनाल्ड ट्रंप की नीति काफी स्पष्ट है, बड़ी बात यह है कि वे एक ऐसे नेता हैं जो बिना किसी डर के सीधे-सीधे इस्लामिक आतंकवाद की बात करते हैं। वे तो अपने देश में हो रहे इललीगल इमिग्रेशन को भी कई बार आतंकवाद से जोड़ देते हैं। इस समय भारत भी आतंकवाद की समस्या से ग्रसित चल रहा है, पाकिस्तान की तरफ से लगातार दहशतगर्द कश्मीर में अपना आतंक मचा रहे हैं।
अब ट्रंप जब फिर राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, भारत चाहेगा कि उनका कड़ा रुख पाकिस्तान को भी सबक सिखाने का काम करे। अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप के सख्त रवैया ने इसका ट्रेलर भी दिखा दिया था, अब पूरी उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रंप पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जरूर आइसोलेट करने का काम करेंगे। अगर ऐसा होता है तो पीएम मोदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका का साथ मिल जाएगा।
काम नंबर 4- चीन की विस्तारवाद नीति पर रोक
चीन के साथ भारत के रिश्ते कितने भी सुधर जाएं, उस पर भरोसा तो नहीं किया जा सकता। इतिहास की कई घटनाएं इस बात की तस्दीक कर देती हैं। इसके ऊपर चीन जिस तरह से एशिया की सुपर पावर बनने की कोशिश कर रहा है, पीएम मोदी जरूर चाहेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत को ज्यादा प्राथमिकता दें। इसके ऊपर चीन से ज्यादा अगर भारत को भरोसेमंद माना जाएगा तो व्यापार का विस्तार भी होगा और नए अवसर भी देश में मनेंगे।