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वैलेंटाइन डे : कोई फैसला ना लें अब यही फैसला लिया हैं!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
16/02/22
in मुख्य खबर, साहित्य
वैलेंटाइन डे : कोई फैसला ना लें अब यही फैसला लिया हैं!

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गति उपाध्यायगति उपाध्याय
बसंत सबके जीवन में नहीं आता हम जैसे कुछ बौराई शाखों पर बसंत आने से पहले ही पतझड़ का पीलापन तारी हो जाता है. आने वाले समय में प्रेम चौदस यानी वैलेंटाइन डे पर प्रेम विवाहों की दर तय करेगी कि प्रेम के वर्तमान के संत भारत भूमि के भगवान तो ना हो जाएंगे!

वैसे भी कतारों में लगे संतो जिनके भगवान हो जाने की प्रबल संभावना है, उनमें वाले भगवान वैलेंटाइन सबसे आगे चल रहे हैं! वैलेंटाइन के पॉवर प्लग की अर्थिंग तब ज़रूर भक्क से दिमाग़ का साथ छोड़ देती होगी, जब मदन के अनुयायी प्रपोज डे के नाम पर मदर, फादर, सिस्टर आई लव यू लिखकर स्टेटस चेंपते हैं.

रति, अनुराग, काम के उत्सव को नेह के दिखावे में बदलने का चमत्कार भारत भूमि में ही मुमकिन है!

डेढ़ दशक पहले शादी ब्याह करके फ़ारिग हो चुके हम जैसे प्रेमियों को वैलेंटाइन डे की बसंत के बहार पूरे शरीर में कैक्टस हुआ देती है, आई लव यू की जगह सुनती हो /सुनते हो कहने में भी गला चोक लेने लगता है. कनखियों से work-from-home करते पतियों को उनकी उकतायी पत्नियाँ जिस भाव से देखती हैं कि पति उन्हें अपनी वैलेंटाइणी चुनने के साहस पर सहसा सिहर उठते हैं. जीवन में फिर कभी उतना साहस इकट्ठा ही ना हुआ, प्रेम विवाहों के फैसले का हश्र ये हुआ कि- ‘कोई फैसला ना लें अब यही फैसला लिया’.

यह प्रेमी जोड़े आज भी तय नहीं कर पाते हैं भरी बसंत में ब्याह करके ये बसे थे कि उजड़े थे. यह अच्छा था कि वह अच्छा होता! बीते दशकों में इन साथियों ने चट्टानों की तरह न सिर्फ आकार प्रकार बदले, बल्कि उनके तरह परिवर्तित भी हो गए, न सिर्फ कायांतरित ही बल्कि दृष्टि में आग्नेय और मन से अवसादी भी हो गए!

फाग और बसंत की पर्णपाती हवाओं के साथ हम जैसे प्रेमिल मन कहीं भी उड़ कर गिर जाने को बेचैन हो उठते कहाँ चट्टानों से टकरा कर बार-बार वापस आने वाली आवाज बने हैं, जिन्हें चट्टान से टकराना है और वापस आना है! किसी ने सुबह सुबह दुखती रग पर हाथ रखा कि भैया ये लव मैरिज, मैरिज नहीं पावर गेम है. पॉवर तो हम नहीं जानते पर गेम तो हो लिया है. पॉवर पूरे देश में एक ही पास है सबके पास पॉवर होते तो उनकी तरह अगर कांग्रेस ना होती तो क्या होता हम भी अपने साथियों को गिना पाते!

पाश से माफ़ी के साथ –
सबसे बुरा है लव मैरिजेस का हो जाना
टूटना किरचों में और साबूत नजर आना
सब सहकर जीकर मरकर अंत में यही समझ में आता है कि सबसे सच है लव यू माँ, लव यूँ पा, लव यू सिस ही है.
असली प्रेम मां बाप भाई बहन का ही है भारत यूँ ही नहीं विश्व गुरु बन गया!

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