नई दिल्ली: अगर आप ऑफिस में फर्जी बिल लगाते हैं तो ये खबर जरूर पढ़ लीजिए। मद्रास हाईकोर्ट ने बैंक मैनेजर को नकली बिल जमा करने के मामले में नौकरी से हटाए जाने के आदेश को बरकरार रखा है। इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों को अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है और वे सजा तय करने में स्वतंत्र हैं। बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) के मैनेजर ने होटल के रूम में ठहरने का फर्जी बिल लगाया था। इसपर जांच अधिकारी ने बैंक मैनेजर के खिलाफ अनुशासन अधिकारी ने सैलरी को रोकने की सजा सुनाई थी। वहीं महाप्रबंधक ने सजा को बढ़ाकर हटाने का आदेश दिया था। इसे मुख्य महाप्रबंधक ने भी मंजूरी दी थी।
जानिए क्या है पूरा मामला
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के बैंक मैनेजर ने अपनी सजा के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था। बैंक मैनेजर को साल 2009 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद साल 2011 में वेल्लोर जिले के येलागिरी में अथावनूर शाखा प्रबंधक के रूप में तैनाती दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंक मैनेजर ने साल 2013 में 29 नवंबर से लेकर 28 दिसंबर तक येलागिरी हॉलिडे होम के रूम नंबर 201 में ठहरने का बिल लगाया था। यह बिल 1300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से था। इस मामले में जब जांच हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
होटल में नहीं था रूम नंबर 201
जांच में पता चला कि जिस होटल के रूम नंबर का बिल बैंक मैनेजर ने लगाया था, उस होटल में वो कमरा नंबर है ही नहीं। इतना ही नहीं जांच में पता चला कि उक्त होटल में किसी भी कमरे के लिए प्रतिदिन का किराया 880 रुपये से ज्यादा नहीं है। जांच अधिकारी ने बैंक मैनेजर के खिलाफ आरोप सही साबित पाए। इसके बाद अनुशासन अधिकारी ने बैंक मैनेजर का वेतन रोके जाने की सजा सुनाई। लेकिन महाप्रबंधक ने सजा बढ़ाकर हटाने का आदेश दिया और मुख्य महाप्रबंधक ने भी इसे मंजूरी दे दी।
बैंक मैनेजर ने की हाईकोर्ट में अपील
इस मामले में बैंक मैनेजर ने हाई कोर्ट में अपील की और कहा कि बैंक ने पहले भी ऐसे ही मामलों में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह एक चेन रिएक्शन है जिसे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जनता का बैंक अधिकारियों पर विश्वास कम हो जाएगा क्योंकि उन्होंने खुद ही पैसों का गबन किया है।